आस्था व श्रद्धा सहित मना भातृ द्वितीया मिथिलांचल मेंं पारंपरिक रीति रिवाज से भाई-बहन का पर्व संपन्न बहन यमुना को यमराज ने दिया था वचन सहरसा यमुना नोते यम कए, हम नोते छी भैया कए, जाबत यमुना में पाइन रहै, ता धरि भैया के औरदा रहे….जैसे पंक्तियों के साथ जिले भर में गुवार को भाई-बहन का पर्व भातृ द्वितीया संपन्न हुआ. भाई बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व भातृ द्वितीया प्रत्येक वर्ष दीपावली के तीसरे दिन आस्था, श्रद्धा व समर्पण भाव से मनाये जाने की परंपरा रही है. शहरी क्षेत्र के न्यू कॉलोनी, नया बाजार, गंगजला, मारुफगंज, बटराहा, पूरब बाजार व अन्य मुहल्लों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी हर्षोल्लास के साथ यह संपन्न हुआ. इस पर्व को मनाने के लिए बहनें सुबह से ही घर व आंगन को साफ कर अर्पण बनाती है. जिस पर श्रद्धापूर्वक भाई को बैठा कर चंदन का टीका लगाती है. जिसके बाद हाथ में पिठार का लेप लगा हाथ में पान, सुपारी व द्रव्य देकर उसके लंबे उम्र की कामना करती है. भातृ द्वितीय पर भाई अपनी बहन को वस्त्र सहित मिष्ठान व उपहार भी देते हैं. बजरी कुटने का भी है रिवाज महिलाएं व युवतियां सहित बच्चियां सुबह से ही किसी खास स्थान पर जुटने लगीं व विधि पूर्वक बजरी कूट अपने भाई के लंबी उम्र सहित सलामती की प्रार्थना की. इस मौके पर व्रती बहनों के द्वारा यमुना व यमराज की कथाएं भी पढी गयी. साफ सुथरे शिला पर बजरी रख समाठ से कूटा गया. फिर बहनों के द्वारा अपने भाई को गालियां देकर रेंगनी के कांटे जीभ में चुभाये गये. व्रतियों के द्वारा बजरी चुन कर लड्डू व केले में डाल भाईयों को खिलाया गया. त्योहार के मौके पर छोटी बहनों ने भाई को प्रणाम कर आशीर्वाद लिया व छोटे भाइयों ने बड़ी बहनों का चरण स्पर्श कर उसके आजीवन रक्षा का वचन दिया. भाई टीका पर्व के मौके पर बहनों ने भाई को तिलक लगाकर मिठाई खिलायी व उनकी कलाई पर रुई से बना कंगन भी पहनाया. सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर भी महिलाओं व युवतियों ने मंदिरों में पूजा अर्चना कर यम व यमुना की कथा सुनी. कथा के अनुसार शुक्ल पक्ष के द्वितीय तिथि को यमराज अपनी बहन यमुना के पास पहुंचे थे. जहां बहन ने भाई का भव्य स्वागत सत्कार करते भोजन कराया था. प्रसन्न होने के बाद यमराज ने इच्छा जताते कहा कि आज के दिन बहन के घर भोजन करने वाले भाई को लंबी आयु प्राप्त होगी. पर्व को लेकर दिन भर शहर की मिठाई व गिफ्ट की दुकानों पर भीड़ बनी रही. फोटो – सहरसा 03 – कलाई में रूई का धागा बांधती बहन
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