चतरा. शहर के नगवां सुरही मुहल्ला स्थित घोष परिवार का शारदीय नवरात्र पूजा अपने-आप में अनूठा है. परिवार के सदस्य अपने घर में मां दुर्गा समेत अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं. दुर्गा पूजा बंगाली रिति-रिवाज से होती है. परिवार के लोग षष्ठी को शंख ध्वनि, उल्लू ध्वनि व ढाक के अद्भूत मिश्रण के साथ संध्या काल में बेलवरण की पूजा करते हैं. पूजा की शुरूआत स्व वीरेंद्रनाथ घोष ने 1970 में की थी. यहां 55 वर्षो से पूजा-अर्चना हो रही है. परिवार के सभी सदस्य पूजा में होनेवाले खर्च का वहन स्वयं करते हैं. पूजा के सफल संचालन में मिरेंद्र नाथ घोष, विभूतिनाथ घोष, विश्वजीत घोष, सोमेंद्र नाथ घोष, सुभाष घोष, अभिषेक घोष, अभिजीत घोष, कमला घोष, विप्लव, सोलीना, मधुलीमा, विविशा, कल्पना, अभिनव समेत अन्य लगे हुए हैं. महाष्ठमी तिथि को 108 श्वेत कमल पुष्प से मां की अराधना होती है. पुष्प कोलकाता से मंगाया जाता है. साथ ही मां दुर्गा की अराधना शुद्ध घी के 108 दीपक जला कर की जाती है. वहीं विशेष आरती की जाती है. घोष परिवार की ओर से दसवीं तिथि को घर की महिलाओं द्वारा मां दुर्गा को सिंदूर लगाने की परंपरा है. इसके बाद एक-दूसरे को सिंदूर का आदान-प्रदान करती हैं. सुहाग की रक्षा की कामना करते हुए मां दुर्गा को विदाई दी जाती है.
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