पितृपक्ष में पुनपुन नदी घाट पर प्रथम पिंडदान देने आते हैं श्रद्धालु, कुव्यवस्था से होगी परेशानी
औरंगाबाद शहर. पितृपक्ष का शुभारंभ आज छह सितंबर से हो रहा है. परंपरागत रूप से गयाजी में फल्गु नदी में पिंडदान करने से पहले बड़ी संख्या में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रथम पिंडदान (गयाजी श्राद्ध की प्रथम वेदी) देने के लिए जिले के जम्होर स्थित पुनपुन नदी घाट पर पहुंचते हैं. अनुग्रह नारायण रोड स्टेशन पर उतरकर श्रद्धालु यहां से पुनपुन घाट की ओर रुख करते हैं, लेकिन इस बार भी पिंडदानियों के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं दिख रही है. मोक्ष धाम पुनपुन घाट में भी कुव्यवस्था का आलम साफ झलक रहा है. वैसे पितृपक्ष के दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय-गयाजी रेलखंड पर स्थित अनुग्रह नारायण रोड पुनपुन घाट स्टेशन पर श्रद्धालुओं के लिए ट्रेन का ठहराव किया जाता है. मगर इस बार फिलहाल आधिकारिक घोषणा नहीं की गयी है. वैसे पुनपुन नदी घाट पर प्रथम पिंडदान करने की खास महत्ता है. पुनपुन नदी घाट की हालत यह है कि यहां न तो साफ-सफाई कराई गई है और न ही पेयजल की कोई व्यवस्था की गयी है. श्रद्धालुओं के बैठने अथवा ठहरने के लिए कोई स्थायी सुविधा नहीं है. यहां तक कि घाट की सीढ़ियों और किनारों पर भी गंदगी स्थिति बनी हुई है. स्थानीय लोग बताते हैं कि हर साल पितृपक्ष में हजारों श्रद्धालु इस घाट पर पहुंचते हैं, लेकिन प्रशासन और विभागीय अधिकारी उनकी परेशानी को नजरअंदाज कर देते हैं. यहां आने वाले पिंडदानियों को मूलभूत सुविधाओं के अभाव का सामना करना पड़ता है. पूर्व में यहां बना धर्मशाला भी देखरेख के अभाव में जर्जर हो गया है और इसका लाभ श्रद्धालुओं को नहीं मिल पाता.पुनपुन नदी घाट पर पिंडदान का विशेष महत्व
पितृपक्ष का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है. पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए देश-विदेश से लोग गयाजी फल्गु नदी में पिंडदान करने आते हैं. लेकिन, उसके पहले जम्होर पुनपुर नदी घाट पर आदि गंगा (पुनपुन नदी) में प्रथम पिंडदान का विशेष महत्व है. इस स्थल की उपेक्षा न केवल श्रद्धालुओं की भावना को ठेस पहुंचाती है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की भी पोल खोलती है.उदासीनता के कारण व्याप्त है कुव्यवस्था
फोटो- 25- पुजारी कुंदन पाठक पंडित कुंदन पाठक ने कहा कि उदासीनता के कारण मोक्ष धाम पुनपुन नदी घाट के पास कुव्यवस्था व्याप्त है. जनप्रतिनिधियों से लेकर पदाधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया है, लेकिन आज तक कोई ठोस पहल नहीं हुई. आज स्थिति यह है कि मोक्ष धाम पुनपुन नदी घाट का अस्तित्व मिटने के कगार पर है. इसको लेकर स्थानीय लोगों ने भी गहरी नाराजगी जतायी है. उनका कहना है कि जिला प्रशासन को पितृपक्ष से पूर्व घाट और स्टेशन की सफाई, पेयजल व शौचालय की व्यवस्था और सुरक्षा के ठोस इंतजाम करने चाहिए थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

