मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में समाज सुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर की जयंती मनायी गयी. लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. वहीं, धनंजय प्रसाद ने कहा कि ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने रुढ़िवादी मान्यताओं व कुरीतियों के खिलाफ लंबा संघर्ष किया. उन्होंने बाल विवाह, बहुत विवाह, सती प्रथा के खिलाफ लोगों को एकजुट किया और लोगों को समझाया, बुझाया तथा विधवा विवाह करने के लिए लोगों को प्रेरित किया. उनके ही संघर्ष के परिणाम स्वरूप 19 जुलाई 1850 में विधवा पुनः विवाह अधिनियम बनाया गया. वो समाज सुधारक के साथ उच्च कोटि के लेखक भी थे. उन्होंने संस्कृत, बंगला व अंग्रेजी में 50 से अधिक पुस्तकों की रचना की. उन्होंने पाठ्य-पुस्तकों भी लिखी, जो लंबे समय तक बंगला के स्कूलों में पढ़ाई जाती रही. उनकी प्रमुख पुस्तकों में बोधोदय, कथामाला, चरिताबली व आख्यान मंजूरी आदि बंगला साहित्य की अमूल्य धरोहर है. उन्होंने शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए अनेकों स्कूलों का संचालन किया.
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