छपरा. नगर निगम के ढुलमुल कार्यशैली की वजह से इस बार के दशहरा में ना तो शहर की साफ सफाई व्यवस्था बेहतर ढंग से हो पा रही है और और ना ही अभी तक सड़कों और गलियों को रोशन करने के लिए स्ट्रीट लाइट लगाने वाली एजेंसी का चयन हो पाया है. केवल निगम में टेंडर टेंडर का खेल हो रहा है. इस खेल में अधिकारी पास हो रहे हैं और आम जनता फेल हो रही है.
50 फीसदी इलाके अंधेरे में : शहर के 50 फीसदी इलाके अंधेरे में है यानी इन इलाकों की मुख्य सड़कों और गलियों में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि दारोगा राय चौक के बाद से बरहमपुर और दारोगा राय चौक से लेकर बस स्टैंड होते हुए नगर पालिका चौक तक स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है. इसी तरह निगम के 45 वार्ड के वार्ड पार्षदों ने 4000 से अधिक स्ट्रीट लाइट की डिमांड की है. हर बार आयुक्त ने 70 से 100 स्ट्रीट लाइट की डिमांड की है. शहर के निचले रोड छोटा बरहमपुर से लेकर तेलपा तक स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है जो कि सीधे तौर पर दियारा क्षेत्र से जुड़ा हुआ है.
अधीक्षण अभियंता के यहां फसता है पेंच : जब भी नगर निगम की योजनाओं के टेंडर से संबंधित बात की जाती है तो नगर निगम के अधिकारी बस एक ही बहाना बनाते हैं यह मामला नगर विकास विभाग के अधीक्षण अभियंता के यहां अटका हुआ है. अब सवाल या उठता है कि जब अधीक्षण अभियंता छपरा में बैठने लगे हैं तो फिर यह बहाना आखिर में क्यों किया जाता है. कुछ पार्षदों ने कहा कि अधीक्षण अभियंता यहां बैठने ही नहीं इसलिए परेशानी होती है. जबकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अधीक्षण अभियंता जोगणिया कोठी के पास अपने कार्यालय में बैठते हैं.
इन रूटों में रहता है अंधेरादरोगा राय चौक से बरहमपुर चौक तक
रविकांत कुमार, कार्यपालक अभियंता, नगर निगम
क्या कहते हैं नगर आयुक्त
यह गंभीर मामला है. इसे लेकर सख्त आदेश दिये गये हैं. हर हाल में स्ट्रीट लाइट लगाना होगा. अगर इसमें लापरवाही होती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ मुख्यालय को रिपोर्ट किया जायेगा.
सुनील कुमार पांडे, नगर आयुक्त
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