सेन्हा़ प्रकृति पर्व करमा को लेकर प्रखंड क्षेत्र में उत्साह का माहौल है. ग्रामीण इलाकों से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक एक सप्ताह पूर्व से ही तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. जगह-जगह पूजा स्थलों और अखाड़ों की साफ-सफाई की जा रही है. वाद्य यंत्र बनाने वाले कारीगर भी पूरी तरह व्यस्त हैं. नये मांदर, ढोलक और नगाड़े बनाये जा रहे हैं, वहीं पुराने वाद्य यंत्रों की मरम्मत कर उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है. मुर्की तोड़ार पंचायत के बाजार डांडू में कारीगर रामदेव नायक, जगन्नाथ नायक, बिनोद नायक, रामदेनी नायक, जनक नायक, गोपाल नायक और बाबूलाल नायक बताते हैं कि एक मांदर बनाने में काफी मेहनत और खर्च लगता है. इस बार एक मांदर की कीमत 5000 से 6000 रुपये तक है. वेद शास्त्रों के अनुसार भादो माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को करमा पर्व मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करमदेव का पूजन करती हैं. किसान भी अच्छी पैदावार की कामना करते हैं. इस बार तीन सितंबर को करमा पर्व है और इसे लेकर लोगों में खासा उत्साह है. पूजन के बाद रातभर पारंपरिक गीत-संगीत और ढोल-नगाड़ों की थाप पर नृत्य-गान का आयोजन होता है. करमा पर्व को भाई-बहन के अटूट प्रेम और प्रकृति संरक्षण का प्रतीक माना जाता है, इसलिए हर वर्ग के लोग इसकी तैयारी में जुटे हैं.
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