रांची.
नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्वास) के लिए राज्य भर के अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों से रिपोर्ट मांगी गयी है. इसका मकसद वहां मिल रहीं स्वास्थ्य सुविधाओं को और बेहतर करने और लोगों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना है. इसके लिए केंद्र के स्तर से इसकी निगरानी की जा रही है. सभी सिविल सर्जन को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से पत्र लिखा गया है.सिविल सर्जन को एक सप्ताह के अंदर सभी फॉर्मेट को भरकर राज्य मुख्यालय के क्वालिटी सेल को उपलब्ध कराना है. एनक्वास सर्टिफिकेशन हासिल करने के लिए दूसरी तिमाही (सेकेंड क्वार्टर) के निर्धारित लक्ष्य के लिए नॉमिनेशन मांगा गया है. इसमें जिलों से राज्य मुख्यालय को विस्तृत रिपोर्ट भेजी जानी है. ज्ञात हो कि भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2025-26 में जिला अस्पतालों के साथ ही निचले क्रम के स्वास्थ्य संस्थानों की सात श्रेणी के अस्पतालों के कुल 12 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मूल्यांकन परीक्षण किया जाना है. अस्पतालों को दिये गये निर्देश के अनुसार, साफ-सफाई, दवा और चिकित्सा उपकरणों की पर्याप्त व्यवस्था, उपचार की व्यवस्था, संक्रमण से बचाव के उपाय और शिकायत पेटी की स्थापना जैसे कुछ महत्वपूर्ण सुधार किये जा रहे हैं, ताकि एनक्वास मानकों पर खरा उतरकर राष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सके.अस्पतालों को 12 बिंदुओं पर भेजनी है रिपोर्ट
नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड का दर्जा हासिल करने के लिए अस्पतालों को गर्भावस्था और प्रसव को लेकर की जा रही देखभाल, नवजात और शिशु स्वास्थ्य देखभाल, किशोरावस्था स्वास्थ्य देखभाल, परिवार नियोजन, संक्रामक रोगों का प्रबंधन, सामान्य संक्रामक रोगों से निबटने की क्षमता, गंभीर बीमारियों के लिए बाह्य रोगी (ओपीडी) देखभाल, गैर-संक्रामक रोगों की जांच, रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन, सामान्य नेत्र और इएनटी समस्या पर उपचार, ओरल यानी मौखिक स्वास्थ्य देखभाल, अस्पतालों में बुजुर्ग स्वास्थ्य देखभाल, आपातकालीन चिकित्सा (इमरजेंसी) सेवाएं व दंत स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में रिपोर्ट भेजनी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

