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श्रीमद्भागवत की कथा का श्रवण कलियुग के प्रभाव से करता है मुक्त : प्रीतिमानंद

कथा व्यास प्रीतिमानंद महाराज ने कलियुग के प्रभाव का सरस वर्णन किया. उन्होंने कहा कि जुआ, मद्यपान, हिंसा एवं वेश्यावृति जैसे स्थान पर कलियुग का निवास है.

रामगढ़. दुर्गा पूजा के पावन अवसर पर छोटी रण बहियार दुर्गा मंदिर प्रांगण में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा में कथा व्यास प्रीतिमानंद महाराज ने कलियुग के प्रभाव का सरस वर्णन किया. उन्होंने कहा कि जुआ, मद्यपान, हिंसा एवं वेश्यावृति जैसे स्थान पर कलियुग का निवास है. उन्होंने कहा कि इस कथन का भाव यह है कि इन स्थानों पर जिनका भी आना-जाना होता है वो कलियुग के कुप्रभाव में आ ही जाते हैं. आज हमारे समाज के सभी वर्ग अनायास ही इसके कुप्रभाव से प्रभावित हैं. कलियुग के प्रभाव से ज्ञानी, आध्यात्मिक और प्रभावशाली राजा परिक्षित पर भी पड़ गया था. फिर हम आम मनुष्यों पर कलियुग का प्रभाव पडना तो सामान्य बात है. राजा परिक्षित ने कलियुग के प्रभाव में आकर ध्यानरत शमीक मुनि के गले में मरा हुआ सांप डाल दिया और क्रोध में आकर शमीक मुनि के पुत्र श्रृंगी मुनि ने वस्तुस्थिति का पता लगाए बगैर ही उनके पिता के गले में मृत सर्प लपेटने वाले की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से सात दिनों अंदर हो जाने का शाप दे दिया. कथावाचक ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से ही राजा परीक्षित मृत्यु के भय से मुक्त हुए थे. श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से हम कलियुग के प्रभाव से मुक्त हो सकते हैं.

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