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Kaimur News : सिरबिट पंचायत में खराब सामग्री से गलियों का निर्माण

भभुआ. चैनपुर प्रखंड के सिरबिट पंचायत में छठे वित्त और 15 वित्त की राशि से कराये गये गलियों के निर्माण में खराब सामग्री का प्रयोग करके गलियों का निर्माण कराने

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भभुआ. चैनपुर प्रखंड के सिरबिट पंचायत में छठे वित्त और 15 वित्त की राशि से कराये गये गलियों के निर्माण में खराब सामग्री का प्रयोग करके गलियों का निर्माण कराने का मामला जांच में पाया गया है. यह जांच सरकार के आदेश पर जिला स्तरीय तीन सदस्यों की टीम द्वारा की गयी. यह जांच पंचायत सिरबिट के उप मुखिया द्वारा पथ निर्माण मंत्री को भेज गये शिकायती आवेदन के आलोक में जिला प्रशासन द्वारा करायी गयी. जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत सिरबिट के उप मुखिया रतन सेन चौबे ग्राम कुरई द्वारा अप्रैल 2025 में पथ निर्माण मंत्री सह तत्कालीन प्रभारी मंत्री कैमूर को दिये आवेदन में कहा गया था कि ग्राम पंचायत में छठे वित्त और 15 वें वित्त के मद से कराये गये गली-नली निर्माण की योजना में ग्राम पंचायत सिरबिट के मुखिया रामानंद पासवान व पंचायत सचिव के मिलीभगत से योजनाओं का क्रियान्वयन घटिया सामग्री के साथ बहुत खराब ढंग से करा कर सरकारी राशि का गबन किया गया है. उक्त मद से बनाये गये गली-नाली कुछ माह बाद ही खराब हो कर बर्बाद हो गये हैं. इधर, उप मुखिया के आवेदन पर मंत्री के आप्त सचिव विशाल आनंद द्वारा जिला पदाधिकारी को आवेदन में वर्णित तथ्याें की जांच कराके नियमानुसार कार्रवाई करने का पत्र लिखा गया था. इसके आलोक में जिला स्तर से डीआरडीए निदेशक प्रीतम आनंद के नेतृत्व में जांच के लिए एक तीन सदस्यों की टीम का गठन किया गया. उक्त टीम में एसीइओ जिला पर्षद लोकजीत कुमार तथा तकनीकी सहायक प्रखंड चैनपुर सरोज पासवान को भी शामिल किया गया था. जांच टीम द्वारा योजनाओं की जांच अप्रैल 2025 के तीसरे सप्ताह में की गयी थी. आरोप नंबर एक और जांच रिपोर्ट : उप मुखिया द्वारा दिये गये आवेदन में सिरबिट पंचायत के वार्ड नंबर तीन में विनोद सेठ के घर से जितेंद्र के घर तक पीसीसी निर्माण में अनियमितता, इस आरोप की जांच में जांच टीम के द्वारा छठे वित्त की राशि से 86 हजार 900 रुपये की लागत से बनी पीसीसी गली के कार्य की मोटाई मानक के अनुरूप नहीं पायी गयी. साथ ही अभिकर्ता द्वारा प्रयोग सामग्री की गुणवत्ता भी खराब पायी गयी. आरोप नंबर 2 और जांच रिपोर्ट : सिरबिट पंचायत के वार्ड नंबर चार में राजनाथ सिंह के घर से मुख्य गली तक पीसीसी ढलाई के काम में अनियमितता, इस आरोप की जांच में जांच टीम द्वारा छठे वित्त की राशि से 70 हजार रुपये की लागत से बने पीसीसी गली के निर्माण में यह पाया गया कि इस योजना का उपयोग किसी एक ही परिवार को लाभान्वित करने के उद्देश्य से किया गया है. इस योजना में भी अभिकर्ता द्वारा लगायी गयी सामग्री की गुणवत्ता घटिया किस्म की थी. आरोप नंबर तीन और जांच रिपोर्ट : सिरबिट पंचायत के वार्ड नंबर दो में मुन्ना यादव के घर से बादल यादव के घर होते हुए बेचू यादव के घर तक कराये गये पीसीसी गली निर्माण में अनियमितता, इस आरोप की जांच में जांच टीम द्वारा छठे वित्त के तीन लाख 75 हजार 600 रुपये के राशि से बनाये गये पीसीसी गली का निर्माण खराब पाया गया. यह गली कई स्थानों पर क्रेक, कई जगहों पर गली निर्माण में प्रयोग की गयी सामग्री इधर, उधर बिखरी पायी गयी. साथ ही प्राक्कलन के आरोप में पीसीसी ढलाई की मोटाई कम पायी गयी और सड़क निर्माण में प्रयोग सामग्री की गुणवत्ता भी खराब पायी गयी. आरोप नंबर चार और जांच रिपोर्ट : सिरबिट पंचायत के वार्ड नंबर चार में हनुमान मंदिर से करण यादव के घर तक कराये गये पीसीसी निर्माण में अनियमितता, इस आरोप की जांच में जांच टीम द्वारा पाया गया कि 15 वें वित्त की सात लाख 99 हजार 200 रुपये की राशि से महावीर मंदिर से लेकर नारदमुनी बिंद के घर तक कराये गये पीसीसी गली निर्माण कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो चुका है. एक स्थान पर तो पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो कर टूट गया है. जांच टीम ने पाया कि अभिकर्ता द्वारा प्राक्कलन में दिये गये मानक से हटकर खराब काम कराया गया है और निम्न स्तरीय सामग्रियों का प्रयोग किया गया है. इन्सेट जांच टीम ने की योजनाओं के संबंधित पक्षों पर कार्रवाई की अनुशंसा भभुआ. इस मामले की जांच टीम के अध्यक्ष डीआरडीए निदेशक प्रीतम आनंद से जांच टीम की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि जांच में गलियों के निर्माण में गुणवत्ता का अभाव पाया गया है. इसके कारण गलियां जल्द ही टूट कर इधर उधर बिखर गयी है. उन्होंने बताया कि आवेदन में वर्णित किये गये उक्त सभी पीसीसी कार्य प्राक्कलन के अनुरूप नहीं होने के कारण समय के पहले ही क्षतिग्रस्त होकर खराब हो गये हैं. किसी भी योजना में बोर्ड भी नहीं लगाया गया है. अत: उक्त योजना से संबंधित अभिकर्ता तकनीकी पदाधिकारियों व मुखिया से कारण पृच्छा करते हुए उन पर विभागीय निर्देश के अनुसार अग्रेतर कार्रवाई की जा सकती है. इधर, अग्रेतर कार्रवाई को ले जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को भी भेज दी है.

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