भभुआ सदर. शहर के अंतरराज्यीय बस स्टैंड अखलासपुर पिछले 10 वर्षों से अतिक्रमण व बदहाली के दौर से गुजर रहा है. यूं कहें कि जिला बनने के 33 साल बाद भी अखलासपुर अंतरराज्यीय बस पड़ाव के अच्छे दिन नहीं आ सके हैं. जबकि, बसों में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ी है. सरकारी सहित निजी बसों में 75 से 80 प्रतिशत लोग यात्रा करते हैं. लेकिन, यात्रियों को गंदगी के बीच बसों का इंतजार करना पड़ता है. स्टैंड में साफ-सफाई की बात, तो दूर यात्रियों को शुद्घ पीने की व्यवस्था तक नहीं है. यात्रियों को पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है. खासकर महिलाओं व बच्चों को काफी परेशानी होती है. जहां यात्री बैठते हैं, वहां धूल-मिट्टी के अलावा पॉलीथिन, कागज, पत्ता जमा है. इधर, बस पड़ाव में महीने में एक दिन भी सफाई नहीं हो रही है. अब इसे स्टैंड की विडंबना नहीं, तो और क्या कहेंगे कि जिला बनने के बाद से अखलासपुर बस स्टैंड जिला पर्षद के अधीन रही है. लेकिन, इस स्टैंड में अति साधारण व्यवस्था भी यात्रियों के लिए उपलब्ध नहीं हैं. बस स्टैंड में न तो भरपूर लाइट की व्यवस्था है और न ही यात्रियों काे रात बिताने की सुविधा व उचित प्रबंध ही है. = यात्री बोले नहीं है बस पड़ाव में कोई भी सुविधा अखलासपुर बस स्टैंड से स्थानीय सहित समीवर्ती वाराणसी, कोलकाता, रांची सहित अन्य जगहों के लिए बसें खुलती हैं. बुधवार को बस स्टैंड में मिले शहर के वार्ड 19 निवासी सौरभ कुमार, अंजनी देवी, शर्मिला कुमारी ने बताया कि उन्हें शादी में शामिल होने रांची जाना है. लेकिन स्टैंड में इतनी गंदगी और बदबू है कि तबीयत खराब हो जा रही है. यहां कहीं बैठने की भी व्यवस्था नहीं है. बस में या फिर दुकान में बैठना पड़ता है. उनका कहना था कि वह लोग जब भी रांची जाने के लिए बस पकड़ने स्टैंड में आते है, तब उनका गंदगी और दुर्गंध से सामना होता है. वहीं, राजवंश सिंह, प्रमोद केशरी का कहना था कि सप्ताह में तो दूर महीनों भी स्टैंड की न तो साफ सफाई होती है और न ही यहां यात्रियों के लिए कोई व्यवस्था है. दुकान में खड़े रहकर बस का इंतजार करना पड़ता है. = वर्षों पहले जारी सरकार के आदेश पर नहीं हुआ अमल दरअसल बिहार सरकार ने लगभग 12 साल पहले ही पत्र भेजकर जिले के शहरी क्षेत्रों में स्थित बस स्टैंडों को मूलभूत सुविधाओं से लैस करने का निर्देश जिला पदाधिकारी व नगर पर्षद के इओ को दिया था. तत्कालीन डीएम ने अधिकारियों के साथ अखलासपुर बस स्टैंड का मुआयना कर अवैध दुकानों को हटवाने का निर्देश दिया. वहीं, स्टैंड में पेयजल, शौचालय सहित हाइमास्ट लाइट लगाने का आदेश नगर पर्षद को दिया था. लेकिन, सरकार के आदेश व निर्देश के बावजूद स्टैंड से न तो अतिक्रमण हटा और न ही इसकी बदहाली के दिन ही गये. विडंबना है कि, निर्देश के छ साल बीतने के बाद भी स्टैंड के हालात सुधारे नहीं जा सके. सके चलते अंतरराज्यीय बस पड़ाव का आज भी हाल बदहाल है. = अनदेखी से नहीं सुधर रही अंतरराज्यीय बस स्टैंड की स्थिति भभुआ व मोहनिया स्थित बस स्टैंड में मूलभूत सुविधाओं से लैस करने का निर्देश राज्य सरकार ने वर्ष 2013 में ही दिया था. 31 दिसंबर 2015 तक यात्रियों को स्टैंड में सभी मूलभूत सुविधाएं देना भी सुनिश्चित किया गया था. सरकार के निर्देश के अनुसार, कैमूर के अखलासपुर बस स्टैंड, पूरब पोखरा स्थित सोनहन बस स्टैंड और मोहनिया नगर पंचायत बस स्टैंड को विकसित किये जाने की योजना थी. इसमें पेयजल योजना के तहत ट्यूबवेल, पानी टंकी, हाइमास्ट लाइट सहित एलइडी बल्ब आदि लगाये जाने थे. लेकिन, 2015 से वर्ष 2025 आ गया. लेकिन, अब भी अखलासपुर बस स्टैंड में मूलभूत सुविधा देना तो दूर अब तक इस स्टैंड में अवैध कब्जा और अतिक्रमण तक को नहीं हटाया जा सका है. उधर, स्टैंड की जीर्णशीर्ण स्थिति से यात्री भी देर शाम सात बजे के बाद स्टैंड में ठहरने और जाने से हिचकते है. क्योंकि, संध्या 7 बजे के बाद ही स्टैंड वीरान हो जाता है. क्या कहते हैं अधिकारी = बस पड़ाव में उपलब्ध करायी जायेगी सभी व्यवस्थाएं: इस संबंध में पूछे जाने पर नगर पर्षद के इओ संजय उपाध्याय ने बताया कि अखलासपुर अंतरराज्यीय बस पड़ाव में यात्रियों के लिए कौन-कौन-सी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. इसकी रिपोर्ट तैयार करायी जा रही है. इसके बाद विभागीय गाइडलाइन के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर बस पड़ाव में सभी सुविधाएं मुहैया करायी जायेगी.
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