जहानाबाद. जिले के बराबर पर्यटन थाने में पदस्थापित दारोगा परमेश्वर पासवान ने सोमवार की शाम आत्महत्या कर ली. उनकी आत्महत्या की खबर मिलते ही जिले भर के पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. सूचना मिलने पर एसपी अरविंद प्रताप सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और घटनास्थल की गहन जांच की. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, परमेश्वर पासवान कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लंबे समय से जूझ रहे थे. उन्होंने इलाज के लिए देश के कई बड़े अस्पतालों का रुख किया था, जिसमें अब तक 10 से 15 लाख रुपये खर्च हो चुके थे. इसके बावजूद उन्हें राहत नहीं मिली और बीमारी लगातार गंभीर होती जा रही थी. बीमारी के इलाज के लिए एक बार फिर मुंबई जाना प्रस्तावित था, लेकिन आर्थिक तंगी और बढ़ते कर्ज के कारण वे मानसिक तनाव में थे. घोसी एसडीपीओ संजीव कुमार ने बताया कि दारोगा अक्सर अपने साथियों से बीमारी और भविष्य को लेकर निराशा जताया करते थे. सोमवार की शाम करीब 4:15 बजे जब पुलिसकर्मी उनके कमरे में पहुंचे, तो देखा कि उन्होंने पंखे की हुक से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. यह कमरा थाना परिसर में ही था, जहां वे पुलिस वाहन चालक के साथ रहते थे. घटना की सूचना मिलते ही थाना परिसर में अफरा-तफरी मच गयी. वरीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी गयी, जिसके बाद मौके पर पहुंचे एसपी ने जांच शुरू कर दी. दारोगा मूल रूप से सुपौल जिले के राघोपुर थाना क्षेत्र के सातनपट्टी गांव के निवासी थे. उनके परिजनों को घटना की जानकारी दे दी गयी है. परिजनों के पहुंचने के बाद शव का पोस्टमार्टम कराया जायेगा. बताया जाता है कि बीमारी की वजह से भारी खर्च के साथ-साथ उन पर कर्ज का भी बोझ था, जिससे वह लगातार मानसिक रूप से परेशान चल रहे थे. ऐसे में उन्होंने यह कठोर कदम उठाया और अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली. यह घटना न सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह पुलिस महकमे के अंदर कार्यरत कर्मियों की मानसिक स्थिति और उनके लिए उपलब्ध सहायता तंत्र पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है. इस तरह की घटनाओं से यह स्पष्ट है कि पुलिस बल में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अधिक जागरूकता और सहयोग की आवश्यकता है.
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