मुख्यमंत्री ने की घोषणा
संवाददाता, कोलकातामुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य भर में वर्षाजनित घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की बुधवार को घोषणा की. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर सीईएससी द्वारा पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी नहीं दी जाती है, तो राज्य सरकार की ओर से परिवार के एक सदस्य को होमगार्ड के पद पर नौकरी दी जायेगी.मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में बिजली प्रदाता सीईएससी से महानगर में बिजली का करंट लगने के कारण मारे गये लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की अपील की. बताया गया कि राज्य में मंगलवार से अब तक वर्षाजनित घटनाओं में कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से आठ लोगों की मौत कोलकाता में जलभराव के बीच खुले पड़े बिजली के तारों के संपर्क में आने से करंट लग कर हुई है. बुधवार को दक्षिण कोलकाता में दुर्गापूजा के उद्घाटन के अवसर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार मृतकों के परिवार के सदस्यों के लिए रोजगार भी सुनिश्चित करेगी. उन्होंने कहा कि मंगलवार रात बिजली के करंट से मारे गये लोगों के परिजनों को राज्य सरकार द्वारा दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जायेगी, हालांकि पैसा उनके जीवन की कीमत नहीं चुका सकता. अगर सीईएससी नौकरी नहीं भी देती है, तो भी हम यह सुनिश्चित करेंगे कि परिवार के सदस्यों को विशेष रोजगार दिया जाये.
मुख्यमंत्री ने सीईएससी से अपील की है कि वह बिजली का करंट लगने के कारण हुई मौतों की जिम्मेदारी ले. उन्होंने कहा : मैं सीईएससी से अनुरोध करूंगी कि वह मृतकों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे, क्योंकि मौतें उनकी लापरवाही के कारण हुईं.कोलकाता और आसपास के जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति की मंगलवार को समीक्षा कर रही ममता बनर्जी ने कहा कि महानगर के अधिकतर हिस्सों से जलजमाव कम हो गया है. उन्होंने कहा कि दशकों से पानी की अपर्याप्त निकासी व्यवस्था के कारण समस्या और भी गंभीर हो गयी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि मंगलवार रात को प्राकृतिक आपदा आने के बाद से वह लगातार दो दिनों से काम कर रही हैं. पानी काफी कम हो गया है, हालांकि गंगा में काफी बाढ़ आयी थी. कुछ निचले इलाकों को छोड़ कर ज्यादातर पानी निकल गया है.
उन्होंने कहा : प्रकृति हमारे हाथ में नहीं है. कोलकाता बंदरगाह, फरक्का बैराज, डीवीसी (दामोदर घाटी निगम) के मैथन में पिछले 20 वर्षों से जल निकासी व्यवस्था नहीं हुई है. जब भी बिहार या उत्तर प्रदेश में बारिश होती है, पानी बहकर पश्चिम बंगाल में आ जाता है. हमें सब कुछ खुद ही संभालना पड़ता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

