असर्फी हॉस्पिटल के नवजात शिशु विभाग में 26 दिनों से जीवन और मौत के बीच जूझ रहे समय से पहले जन्म लेने वाले प्री-टर्म शिशु ने बुधवार को यह लड़ाई जीत ली. जन्म के तुरंत बाद शिशु को सांस लेने में परेशानी हो रही थी. इसके बाद उसकी श्वास नली को फैलाने के लिए बाहर से एक नली डालकर इंटुबेट किया गया. इसके साथ ही उसे टोटल पेरेंट्रल न्यूट्रिशन (टीपीएन) यानी वसा, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज जैसे पोषक तत्वों को मुंह से देने के बजाय घोल के रूप में सीधे ब्लड में पहुंचाने के साथ ही डॉक्टरों ने कई जरूरी तरीके अपनाये.
गंभीर परेशानियों से जूझने के बाद अंतत: मिली सफलता
इलाज के दौरान शिशु को काफी गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ा. इलाज के दौरान बच्चे को पल्मोनरी हाइपरटेंशन, दायें और बायें फेफड़े में न्यूमोथोरैक्स जैसी गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ा. पांचवें और सातवें दिन आइसीडी लगायी गयी और आठवें दिन एक्सट्यूबेशन प्रयास विफल होने पर तीसरी आइसीडी भी डालनी पड़ी. चुनौतीपूर्ण हालातों में भी नन्हे योद्धा ने हार नहीं मानी और धीरे-धीरे स्वास्थ्य में सुधार हुआ. 26वें दिन उसे डिस्चार्ज किया गया. इस चुनौतीपूर्ण सफलता के पीछे डॉ किशोर गांधी, एचओडी व सीनियर कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक्स और नियोनैटोलॉजी के साथ उनकी पूरी टीम ने अथक योगदान दिया.
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