मुंगेर नवरात्र के मौके पर मोगल बाजार स्थित दशभुजी दुर्गा मंदिर प्रांगण में गुरुवार को परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती जी का प्रवचन और सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया. स्वामी जी ने कहा कि मां दशभुजी महारानी का संबंध राजा कर्ण से है. वे यहां शक्ति की पूजा करते थे. कहा जाता है कि माता दशभुजी राजा कर्ण की अधिष्ठात्री देवी हैं. क्योंकि राजा कर्ण सूर्यपुत्र थे और शक्ति की उपासना करते थे. उन्होंने कहा कि मुंगेर शक्ति स्थल है. एक तरफ मां दशभुजी की पूजा होती है और दूसरे तरफ मां चंडिका की पूजा होती है. मुंगेर के लोग बहुत ही भाग्यशाली हैं. उन्होंने कहा कि जहां प्रतिमा की स्थापना होती है. उसे मंदिर के रूप में पूजा जाता है और जहां किसी अंग की उपासना होती है तो वह शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है. दशभुजी स्थान में जागृत देवी का अनुभूति होता है. स्वामी जी ने कहा कि दुर्गा जी का पाठ प्रातः बेला में, लक्ष्मी जी की दोपहर और रात्रि में सोने से पहले गायत्री मंत्र का पाठ करना चाहिए. इससे जीवन की दुर्गति दूर होती है. जो भी सच्चे भाव से नवरात्र में दुर्गा जी का आराधना करता है. उसे परम सौभाग्य प्राप्त होता है. इससे पूर्व स्वामी कैवल्यानंद जी ने दुर्गा जी के 32 नाम का तीन बार पाठ करवाया. उन्होंने कहा कि निस्वार्थ भाव से जो माता रानी का आह्नवान करता है, पूजा करता है, दान करता है. उसके जीवन से सभी दुर्गति दूर होती है. मौके पर समिति के अध्यक्ष ललन ठाकुर, सचिव सुरेंद्र प्रसाद, उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रसाद, संयुक्त सचिव दीपक कुमार, सदस्य प्रभात कुमार, संतोष कुमार आदि मौजूद थे.
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