एसडीएम की जांच की बाद जिला खनन पदाधिकारी ने की कार्रवाई प्रतिनिधि, गढ़वा गढ़वा जिला के मझिआंव के बकोइया स्थित बालू डंप यार्ड को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है. साथ ही बालू डंप यार्ड के संचालक लव सिंह पर ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. गढ़वा एसडीएम संजय कुमार द्वारा की गयी जांच के बाद जिला खनन पदाधिकारी ने यह कार्रवाई की है. प्रभात खबर ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिसके बाद एसडीएम ने इस घाट का औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान उन्होंने खुद ग्राहक बनकर रेट पूछा, जिसमें 200 सीएफटी बालू 9,000 रुपये में बिकने की पुष्टि हुई. एसडीएम ने औचक निरीक्षण के दौरान मौजूद कर्मचारियों और प्रबंधक से पूछताछ की, जिसमें यह स्वीकार किया गया कि अब तक बालू की बिक्री 9,000 रुपये प्रति ट्रिपर की दर से हो रही थी, जिसमें 200 सीएफटी बालू होता है. संचालकों ने गलती मानते हुए आगे से ऐसा न करने की बात कही और माफी की गुहार लगायी. हालांकि, एसडीएम संजय कुमार ने स्पष्ट कहा कि कोई भी वस्तु, जिसकी आपूर्ति सीमित हो और जिसे खरीदने वाले आम नागरिक हों, उसका विक्रय नियंत्रित दरों पर ही किया जा सकता है. प्रशासन द्वारा कभी भी ऐसी छूट नहीं दी जा सकती कि 1,500 रुपये की वस्तु सरकारी भंडार से खरीदकर उसे निजी स्तर पर 9,000 रुपये में बेचा जाये. उन्होंने इस विषय को गंभीर मानते हुए कठोर कार्रवाई की बात कही. सडीएम के आदेश के आलोक में जिला खनन पदाधिकारी राजेंद्र उरांव ने कार्रवाई की. योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव एसडीएम संजय कुमार ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा कि कल्याणकारी योजनाओं जैसे अबुआ आवास और प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभुक प्रायः निम्न आय वर्ग से आते हैं. यदि उन्हें निजी यार्ड से मनमाने दामों पर बालू खरीदनी पड़ी तो संभव है कि वे इतनी अधिक राशि न चुका सकें और योजनाओं की प्रगति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े. एसडीएम की जांच यह तथ्य आये सामने 26 अगस्त को एसडीएम संजय कुमार ने इस बालू घाट का औचक निरीक्षण किया था. जांच के दौरान पाया गया कि घाट पर बालू लदा हुआ एक ट्रक खड़ा था, जो संभवतः गंतव्य की ओर रवाना होने वाला था. किंतु न तो ड्राइवर और न ही प्रबंधक यह बता पाये कि उस ट्रक का खरीदार कौन है. पूछताछ में ज्ञात हुआ कि यह ट्रक किसी रिंकू तिवारी का है, जबकि स्थानीय नागरिकों से मिली जानकारी के अनुसार रिंकू तिवारी ही जेएसएमडीसी यार्ड के पूर्व एमडीओ थे. स्थानीय स्तर पर यह भी जानकारी मिली कि जेएसएमडीसी के यार्ड से बालू उठाकर पास के दूसरे प्लॉट में डालकर इसे निजी यार्ड के रूप में दिखाने की कोशिश की जा रही थी. एसडीएम ने जिला खनन पदाधिकारी से यह प्रतिवेदन भी मांगा है कि सरकारी सैंड यार्ड से निजी यार्ड में बालू का स्थानांतरण किस आधार पर हुआ, किस कीमत पर हुआ और उसके दस्तावेजी प्रमाण क्या हैं.
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