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समाजवादी जन परिषद व गांधी शांति प्रतिष्ठान ने दी श्रद्धांजलि
उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर
समाजवादी जन परिषद व गांधी शांति प्रतिष्ठान के संयुक्त बैनर तले एलएस कॉलेज के सभागार में समाजवादी चिंतक व लेखक सच्चिदानंद सिन्हा को श्रद्धांजलि दी गयी. लोगों ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की. इसके बाद डॉ अरुण सिंह ने वैष्णव जन तो तेने कहिए भजन का गायन किया. वक्ताओं ने कहा कि सच्चिदानंद सिन्हा स्वातंत्र्योत्तर भारत के ऐसे समाजवादी चिंतक व राजनैतिक कार्यकर्ता थे, जिनका सरोकार सभ्यतागत था. आधुनिक औद्योगिक सभ्यता ने जिस तरह के विशृंखलित समाज का निर्माण किया, उसे व्यवस्थित आधार प्रदान करने के माध्यम के रूप में जिस समाजवाद का रास्ता चुना, उस पर न केवल अविराम अनथक योद्धा के रूप में चलते रहे, बल्कि उसे बदलती परिस्थितियों के साथ निरंतर व्याख्यायित करते हुए बौद्धिक धार प्रदान करते रहे. वह मजदूर संगठन, किसान संगठन, राजनीतिक आंदोलन, राजनीतिक दल और जनांदोलनों के साथ मिलकर करीब आठ दशकों तक निरंतर सक्रिय रहे. इन वर्षों में बेहतर मानवीय सभ्यता व मनुष्य के निर्माण के वैकल्पिक आधारों को प्रस्तावित करने का महान कार्य किया. अपनी इस बौद्धिक यात्रा में वे मार्क्स से टकराते हुये, जेपी-लोहिया- गांधी के विचारों को ज्यादा मानवीय व व्यावहारिक बताते हुए उसे नयी आधारभूमि प्रदान की. शोक सभा में अधिवक्ता ललितेश्वर मिश्रा, अशोक भारत, डॉ डीपी राय, डॉ ब्रजेश कुमार शर्मा, पुष्पराज, डॉ नंद किशोर नंदन, प्रो अबुजर कमालुद्दीन, सुरेंद्र कुमार, शेफाली, प्रो विजय कुमार जायसवाल, पूर्व प्राचार्या प्रो अनीता सिंह, प्रो विकास उपाध्याय, डॉ अनिल अरुण, अधिवक्ता मुकेश ठाकुर, मो इदरीश, डॉ श्याम कल्याण पासवान, अमरनाथ सिंह, प्रभात कुमार ने भी विचार रखे. अंत में दो मिनट का मौन रखा गया. धन्यवाद ज्ञापन समाजवादी जन परिषद के जगत नारायण राय ने किया.संकल्प : चुनौतियों से सामर्थ्य भर लड़ेंगे
प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिंह ने प्रस्ताव लाया. संकल्प लिया गया कि समसामयिक चुनौतियों से सामर्थ्य भर लड़ने का प्रयास करेंगे. साथ ही पुण्यतिथि पर हर वर्ष व्याख्यान करायेंगे. प्रो प्रमोद कुमार ने कहा कि सच्चिदा बाबू की चिंता के केंद्र में मजदूर, किसान व गांव थे. उनका मानना था कि सबसे उपेक्षित यही हैं. लोहिया के बाद समाजवाद को बौद्धिक आयाम देने का दायित्व सच्चिदा बाबू के कंधों पर आ गया था. सच्चिदानंद के भाई प्रो प्रभाकर सिन्हा व अरविंद सिन्हा ने उनकी जीवन-यात्रा की विस्तार से चर्चा की. विश्वविद्यालय सिंडिकेट के पूर्व सदस्य डॉ हरेंद्र कुमार ने कहा कि सच्चिदा बाबू के जाने से एक वैचारिक शून्यता आ गयी है. लक्षणदेव प्रसाद सिंह ने सच्चिदा बाबू तब तक प्रासंगिक रहेंगे, जब तक विषमता कायम रहेगी. संचालन अरविंद वरुण ने किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

