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आलोचना की पुस्तक हिंदी का नया काव्यशास्त्र ऐतिहासिक व प्रेरक

डी-17 मिठनपुरा में वरीय साहित्यकार डॉ महेंद्र मधुकर की पुस्तक का लोकार्पण उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर मिठनपुरा स्थित मंजुलप्रिया के सभागार में मदर टेरेसा विद्यापीठ, मृणाल कला मंच व प्रस्तावना विचार

डी-17 मिठनपुरा में वरीय साहित्यकार डॉ महेंद्र मधुकर की पुस्तक का लोकार्पण उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर मिठनपुरा स्थित मंजुलप्रिया के सभागार में मदर टेरेसा विद्यापीठ, मृणाल कला मंच व प्रस्तावना विचार गोष्ठी के संयुक्त तत्वावधान में साहित्यकार डॉ महेंद्र मधुकर की आलोचना कृति हिंदी का नया काव्यशास्त्र का लोकार्पण हुआ. विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ विजय शंकर मिश्र ने कहा कि लेखक के गंभीर अध्ययन और रचनात्मक दृष्टिकोण का विस्तार यह आलोचनात्मक कृति साहित्य के अध्ययन के लिये प्रेरक और अनुकरणीय है. डॉ संजय पंकज ने कहा कि साहित्य की समस्त विधाओं में लेखन करने वाले महेंद्र मधुकर एक रससिद्ध, भाषा वैभव संपन्न बड़े कवि गीतकार हैं. इनकी कई अहम औपन्यासिक पुस्तकों के बाद इस पुस्तक का आना साहित्य के लिए एक ऐतिहासिक महत्त्व है. एक रचनाकार जब अपने समय के और आज के बड़े आलोचकों की आलोचनात्मक कृति और दृष्टि पर जब विचार करता है तो साहित्य की पूंजी बढ़ जाती है. यह आलोचना की एक गंभीर पुस्तक है, जो अकादमी से लेकर स्वतंत्र साहित्यकारों तक के लिए प्रेरक और ज्ञानात्मक है. डॉ पूनम सिन्हा ने कहा कि महावीर प्रसाद द्विवेदी से लेकर संजीव कुमार तक की आलोचनात्मक यात्रा पर महेंद्र मधुकर ने जिस तरह से लिखा है, वह उनके ज्ञान और संवेदना को उजागर करता है. डॉ सतीश कुमार राय ने कहा कि डॉ महेंद्र मधुकर एक छात्रप्रिय प्राध्यापक रहे हैं. यह पुस्तक हर तरह से ऐतिहासिक और प्रेरक है. डॉ लोकनाथ मिश्र ने भारतीय व पाश्चात्य आलोचना की तुलना करते हुये इस पुस्तक की सार्थकता पर अपना विचार प्रस्तुत किया है. डॉ रमेश ॠतंभर ने कहा कि आज आलोचना खूब लिखी जा रही है, मगर पढ़ने वाले कम हैं. ऐसे समय में रोचकता के साथ प्रकाशित हुई यह पुस्तक सर्वोपयोगी है. लेखक डॉ महेंद्र मधुकर ने कहा कि अन्य विधाओं की तरह ही मेरी प्रिय विधा आलोचना है. इससे मुझे अपने लेखन को भी समझने की दृष्टि मिलती है. डॉ विनोद कुमार सिन्हा ने पुस्तक केंद्रित अपने लेख का वाचन किया. दूसरे सत्र में उदय नारायण सिंह की अध्यक्षता में कवि गोष्ठी हुई, जिसमें सविता राज, चांदनी समर, उदय नारायण सिंह, लोकनाथ मिश्र, वीरेंद्र मल्लिक, वीर मणि राय ने रचनाओं का पाठ किया. मौके पर डॉ सुनीति मिश्र, डॉ उपासना, डॉ मृणालिनी, मिलन दास, मौली दास, मानस दास, आरती, अनूप तिवारी ने भी विचार रखे. संचालन विजय शंकर मिश्र व धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनीति मिश्र ने किया.

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Vinay Kumar
Vinay Kumar
I am working as a deputy chief reporter at Prabhat Khabar muzaffarpur. My writing focuses on political, social, and current topics.

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