वट सावित्री व्रत गुरुवार को है. इस बार चतुर्दशी तिथि क्षय है. गुरुवार को उदयाकाल में अमावस्या मिलने के कारण इस दिन वट सावित्री का व्रत मनाया जायेगा. इसी दिन स्नान दान की अमावस्या व शनि जयंती भी है. गुरुवार को पंचांग के अनुसार प्रात: 5.18 बजे सूर्योदय है. इसके बाद महिलाएं अपने पति के दीर्घायु की कामना के लिए पूजा-अर्चना करने वट वृक्ष के नीचे जायेंगी.
यहां पूजा-अर्चना करने के बाद वे कथा सुनेंगी और वृक्ष की परिक्रमा कर उसमें कच्चा सूता बांधेगी. इसके बाद महिलाएं बड़ों का आर्शीवाद लेकर पति की पूजा कर उनका पैर धोयेगी और उन्हें प्रसाद देकर खुद मीठा भोजन ग्रहण करेंगी. शुक्रवार को व्रत का समापन होगा. ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने से महिलाओं का अखंड सुहाग बरकरार रहता है.
इधर, पर्व को लेकर तैयारी शुरू कर दी गयी है. महिलाओं ने व्रत को लेकर साड़ी सहित पूजन सामग्री की खरीदारी की है. व्रत को लेकर बाजार में बांस के अलावा तार और प्लास्टिक के पंखों की खूब बिक्री हो रही है. वहीं नयी नवेली दुल्हन के घरों व ससुराल में विशेष तैयारी की जा रही है. पूजा में शामिल होने के लिए आस-पड़ोस की महिलाओं को निमंत्रण देने की प्रक्रिया भी कुछ घरों में शुरू हो गयी है.