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अब गठिया का हो सकेगा स्थायी इलाज

आर्थराइटिस की समस्या आमतौर पर बुजुर्गों में होती है. इस रोग में मरीज के जोड़ों खास कर घुटनों के कार्टिलेज घिस जाते हैं. जोड़ों के आपस में रगड़ाने के कारण काफी तेज दर्द होता है. इससे चलने-फिरने में परेशानी होती है. अब मरीजों के लिए एक राहत की खबर है. हाल ही में वैज्ञानिकों को […]

आर्थराइटिस की समस्या आमतौर पर बुजुर्गों में होती है. इस रोग में मरीज के जोड़ों खास कर घुटनों के कार्टिलेज घिस जाते हैं. जोड़ों के आपस में रगड़ाने के कारण काफी तेज दर्द होता है. इससे चलने-फिरने में परेशानी होती है. अब मरीजों के लिए एक राहत की खबर है. हाल ही में वैज्ञानिकों को इसके उपचार की दिशा में एक सफलता हाथ लगी है. वैज्ञानिकों ने गाय के टिश्यू से गाय की घुटने की हड्डी (नी कार्टिलेज) बनाने में सफलता प्राप्त की है.
यह रिसर्च स्वीडन की एक यूनिवर्सिटी में किया जा रहा है. अब वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसी ही प्रक्रिया के जरिये लैब में ह्यूमन कार्टिलेज भी तैयार किया जा सकेगा. इससे धीरे-धीरे मेटल नी ज्वाइंट रिप्लेसमेंट खत्म होगा और कार्टिलेज रिप्लेस करने का बेहतर विकल्प मौजूद होगा. फिलहाल आॅस्टिओआर्थराइटिस का कोई बेहतर इलाज मौजूद नहीं है, छोटी-मोटी समस्या के लिए भी सर्जरी करनी पड़ती है, वहीं ज्वाइंट में कोई बड़ा डैमेज हो, तो ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी की जाती है. हालांकि, आर्टिफिसियल ज्वाइंट्स कुछ दशकों तक ही काम कर पाते हैं, लिहाजा इसके लिए परमानेंट इलाज की जरूरत है. अगर यह रिसर्च सफल होता है, तो तो जिन लोगों के घुटने आर्थराइटिस से खराब हो चुके हों, तो उनका भी परमानेंट इलाज हो सकेगा. हालांिक अभी और िरसर्च की जरूरत है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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