टैटू की परंपरा काफी पुरानी है. पहले यह गोदना के नाम से प्रचलित था. इसे शरीर पर बनवाना कष्टकारी होेने के बावजूद भी युवा फैशनेबल दिखने के लिए टैटू बनवा रहे हैं. टैटू अब फैशन व स्टेटस का सिंबल बन चुका है. युवाओं में टैटू का क्रेज अपने रोल मॉडल को देखकर भी आ रहा है. फिल्मों व टीवी के एक्टर-एक्ट्रेस , खिलाड़ी समेत अन्य सेलिब्रिटी का टैटू देखकर युवा आकर्षित हो रहे हैं. जमशेदपुर में भी युवाओं में टैटू का क्रेज बढ़ रहा है. लाइफ@जमशेदपुर की रिपोर्ट.
भारतीय तीरंदाज कोलकाता के आर्टिस्ट से बनवाया टैटू
जमशेदपुर. सुप्रसिद्ध तीरंदाज दीपिका कुमारी भी टैटू की दिवानी हैं. हाल ही में उन्होंने अपने हाथ पर टैटू बनवाया है. यह टैटू दीपिका ने कोलकाता के मशहूर टैटू आर्टिस्ट निलय दास से बनवाया है. उनके हाथ पर गौतम बुद्ध की आकृति दिख रही है. दीपिका समेत कई सेलिब्रिटी का टैटू बना चुके निलय मुख्य रूप से पौराणिक विषयों पर टैटू बनाते हैं.
टैटू बनवाने में रखें ख्याल
यूज निडिल का बार-बार यूज नहीं करना चाहिए.
सस्ता एवं अनप्रोफेशनल आर्टिस्ट नहीं बनवाये टैटू.
जिस आर्टिस्ट से टैटू बनवाने जा रहे हैं उसके बारे में अच्छे तरीके से जान लें.
टैटू स्टेशन(टेबल) को पूरी तरह से साफ रखे और प्लास्टिक से रैप कर दें.
टैटू बनवाने के बाद उसका अच्छे से ख्याल रखें.
इंटरनेट से टैटू डिजाइन को कॉपी नहीं करें.
ऐसे बनती है डिजाइन
अमूमन लोग अपना-अपना अलग-अलग डिजाइन लेकर आते हैं और उसके अनुसार टैटू बनवाते हैं. कुछ लोग जिनका कोई थीम नहीं होता है वे गुगल से डिफरेंट-डिफरेंट टाइप की डिजाइन निकालते हैं. या फिर जिनके जीवन में ऐसी कुछ चीजें होती हैं जिन्हें वे हमेशा अपने साथ रखना चाहते हैं उस थीम पर आधारित टैटू बनवाने के लिए सलाह भी लेते हैं.
फिगर अच्छा हो तो खिलता है टैटू
काशीडीह निवासी पिंटू दास को बचपन से ही टैटू बनाने का शौक था. शादी के बाद उसने सबसे पहले टैटू के रूप में अपनी पत्नी का नाम लिखवाया था. उसके बाद ओम और ड्रैगन के आकृति का भी टैटू बनवाया. पिंटू कहते हैं कि उस समय जीम जाते थे तो बॉडी भी अच्छी बन गयी थी. जब फिगर अच्छा हो तो उसपर टैटू खूब खिलता है. इसीलिए मैंने अपने दायें हाथ के सोल्डर पर ड्रैगन का टैटू बनाया. पहले लोगों को टैटू बनवाने में काफी दर्द होता था. इसलिए लोग डर से नहीं बनवाते थे. अब तो ऐसी मशीन आ गयी है कि नाम मात्र का पेन होता है. इसलिए युवा अब इसके दीवाने होने लगे हैं.
क्या कहते हैं टैटू आर्टिस्ट
बचपन से ड्राइंग में इंस्ट्रेस्ट था
सीताराम डेरा न्यू आउटलेट निवासी अंकिता शर्मा टैटू आर्ट का प्रशिक्षण ले रही हैं. अंकिता कॉन्वेंट स्कूल से वर्ष 2016 में प्लस टू पास करने के बाद टैटू बनाने का प्रशिक्षण ले रही हैं. अंकिता बताती हैं कि उन्हें बचपन से ही ड्राइंग में काफी इंस्ट्रेस्ट था, लेकिन पढ़ाई के दौरान उन्हें समय नहीं मिलता था. इसलिए वे ड्रॉइंग अच्छे से नहीं सीख पायी. एक दिन वे अपने एक दोस्त के साथ यहां टैटू बनवाने आयी थीं. उसी समय से मेरे अंदर इस आर्ट को सीखने की ललक जगी. फिर मैंने यहां सर से बात की और टैटू आर्ट सीखने लगी.
टीवी पर देख टैटू बनाना सीखा
सोनारी निवासी आशीष मुखी पिछले चार-पांच सालों से टैटू बनाने का काम करते थे. वे पहले सिरिंच से टैटू बनाते थे. आशीष बताते हैं कि मैने टीवी पर आने वाला टैटू का शो देखकर टैटू बनाने लगा था. टैटू बनाने के दौरान मुझे जानकारी नहीं थी हाइजीन क्या होता है और इससे कैसे बचाव हो सकता है. एक दिन मेरे बड़े भाई रोनी से टैटू बनवाने आये थे. टैटू बनवाने के बाद उनका टैटू मुझे काफी पसंद आया. मैं उतना अच्छे तरीके से टैटू नहीं बना पाता था. मुझे लगा कि क्यों न इसकी ट्रेनिंग ली जाये. फिर मैने यहां आकर प्रशिक्षण लेने लगा. अब मैं भी काफी अच्छे तरीके से टैटू बनाता हूं.
कॉपी नहीं, खुद डिजाइन करता हूं
गोलमुरी रामदेव बगान निवासी संदीप सैंडी कोलकाता के बंगीय संगीत परिषद से ड्राइंग में डिप्लोमा करने के बाद टैटू आर्ट से जुड़कर काम करने लगे. वे पिछले तीन साल से एक प्रोफेशनल टैटू आर्टिस्ट के रूप में काम कर रहे हैं. उनका मानना है कि पुराने जमाने में गोदना गुदवाया जाता था, उसी का एडवांस रूप टैटू आर्ट है. गोदना गोदवाने में काफी दर्द होता था, लेकिन अब एक से बढ़कर एक मशीन बाजार में है. जिससे पेन होता ही नहीं है. वर्तमान में अधिकतर युवा अपने लवर्स के नाम का टैटू बनवाते हैं. भगवान शिव का टैटू भी पसंद किया जा रहा है.
टैटू प्रोफेशनल आर्टिस्ट से ही बनवायें
कदमा शास्त्री नगर के रहनेवाले रोनी सरकार एक प्रोफेशनल टैटू आर्टिस्ट हैं. इस क्षेत्र में रोनी की रूची बचपन से ही है. उन्होंने टैटू बनाने का कहीं प्रशिक्षण नहीं लिया है. बावजूद रोनी एक शानदार आर्टिटस्ट हैं. डीबीएमएस में पढ़ाई के दौरान कक्षा नौवी से ही वे टैटू बनाने लगे थे. जबकि रोनी के पापा निर्मल सरकार एक फुटबॉलर कोच है. बावजूद उन्होंने फुटबॉल के क्षेत्र में अपनी कैरियर नहीं बनायी.
टीवी देखकर शुरू किया टैटू बनाना
रोनी बताते हैं कि दसवीं में पढ़ाई के दौरान एक दिन घर पर टीवी पर टैटू हंटिंग शो देख रहे थे. उस शो में अफ्रीका के टैटू आर्टिस्ट ऑपरेशन ब्लेड से पीठ पर टैटू बना रहे थे. उस शो को देखने के बाद मेरे मन में पता नहीं क्या आया. मैने घर पर रखे ऑपरेशन ब्लेड एवं इंक से अपने पैर पर टैटू बनाना शुरू किया. वह टैटू काफी अच्छा बन गया. इसके बाद मैं मैदान में फुटबॉल खेलने गया. जहां दोस्तों ने काफी तारीफ की और मुझे टैटू बनाने को कहा. जब मैंने उनलोगों का टैटू बनाया तो अन्य दोस्तों को भी काफी पसंद आया. फिर धीरे-धीरे लोग मेरे पास टैटू बनवाने आने लगे. इसके बाद मैने डीबीएमएस से इंटर पास होने के बाद पढ़ाई छोड़कर कोलकाता से टैटू कीट मंगवाया और टैटू बनाने का काम शुरू कर दिया. फिर मुझे जहां कहीं भी दिक्कतें होती थी तो मैं यू ट्यूब पर देखकर सीखता था.
रोनी जीत चुके हैं कई अवार्ड
रोनी बताते हैं कि वे नेशनल एवं इंटरनेशनल कॉन्वेशन में शामिल होते हैं. वर्ष 2015 में पुणे में आयोजित इंटरनेशनल कॉन्वेंशन में उन्होंने हिस्सा लिया. जिसमें उन्हें न्यू स्कूल कैटेगेरी में वेस्ट कलर टैटू का अवार्ड मिला. अप्रैल 2016 में नेपाल में आयोजित टैटू प्रतियोगिता में रोनी टॉप टेन टैटू आर्टिस्ट में शामिल थे. वे ब ताते हैं कि वर्ष 2017 में दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल टैटू प्रतियोगिता में विश्व प्रसिद्ध रियलिस्टिक टैटू आर्टिस्ट स्टीव बुचर से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला. फिलहाल रोनी जमशेदपुर समेत देश के अन्य शहरों से आये युवकों को टैटू आर्ट का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं.