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लत को दूर करती है कालेश्वर मुद्रा

ओशो सिद्धार्थ औलिया योग विशेषज्ञ, ओशोधारा सोनीपत कालेश्वर मुद्रा के नियमित प्रयोग करने से करने काल की गति थम जाती है. कालेश्वर मुद्रा के प्रयोग करने से मन शांत होता है. विचारों की गति रुक जाती है. मन धीरे-धीरे निर्विचार हो जाता है और मन को सुकून मिलता है. यह मुद्रा विचारों के तरंगों को […]

ओशो सिद्धार्थ औलिया
योग विशेषज्ञ, ओशोधारा सोनीपत
कालेश्वर मुद्रा के नियमित प्रयोग करने से करने काल की गति थम जाती है. कालेश्वर मुद्रा के प्रयोग करने से मन शांत होता है. विचारों की गति रुक जाती है. मन धीरे-धीरे निर्विचार हो जाता है और मन को सुकून मिलता है. यह मुद्रा विचारों के तरंगों को शांत करती है.
कई बार यदि कोई व्यक्ति हमें कुछ बुरा कहता है, तो मन निरंतर उसी संबंध में विचार करता है और इसका दुष्प्रभाव हमारी दिनचर्या और निद्रा पर भी होता है. यदि रात्रि निद्रा में मन शांत न हो, अगला दिन भी प्रभावित होता है और इस प्रकार एक दुष्चक्र का निर्माण होता है. कालेश्वर मुद्रा हमारे मन को भूतकाल और भविष्य काल से मुक्त करके वर्तमान काल में ले आती है. कालेश्वर मुद्रा के प्रयोग से न केवल मन शांत होता है, बल्कि आनंद की गहरी अनुभूति भी होती है.
विधि: दोनों हाथों के अंगूठों के अग्रभाग को मिलाएं. इसी प्रकार दोनों हाथों की मध्यमा उंगलियों के शीर्ष भाग को भी मिलाएं. शेष तीनों उंगलियों को अंदर की ओर इस प्रकार मोड़ें कि दोनों हाथों की उंगलियों की पहले मोड़ की हड्डियां आपस में मिली रहें. अंगूठे को छाती की तरफ रखें. इस मुद्रा में 10 बार गहरे लंबे सांस लें और छोड़ें अपने सांसों को निरंतर देखते रहें.
अवधि: 10 से 15 मिनट करें.

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