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जानें किस तेल के क्या हैं फायदे

श्वेता जायसवाल कंसल्टेंट डाइटीशियन नगरमल मोदी सेवा सदन बरियातु, रांची जीवन के लिए ऑक्सीजन और पानी के बाद जो सबसे जरूरी चीज है, वह है आहार. आहार को पकाने या तैयार करने में खाद्य तेल की अहम भूमिका होती है. हालांकि, आज कल बाजार में इतने प्रकार के खाद्य तेल आ गये हैं कि लोग […]

श्वेता जायसवाल
कंसल्टेंट डाइटीशियन नगरमल मोदी सेवा सदन बरियातु, रांची
जीवन के लिए ऑक्सीजन और पानी के बाद जो सबसे जरूरी चीज है, वह है आहार. आहार को पकाने या तैयार करने में खाद्य तेल की अहम भूमिका होती है. हालांकि, आज कल बाजार में इतने प्रकार के खाद्य तेल आ गये हैं कि लोग असमंजस में पड़ जाते हैं कि किस तेल में क्या खूबी है और क्या लाभ हो सकते हैं. कई बार तेल का उपयोग आवश्यकता से अधिक करने से यह हृदय, किडनी आदि अहम अंगों को नुकसान पहुंचता है. इसलिए जरूरी है कि तेल का उपयोग सही मात्रा में करें.
– मूंगफली का तेल : मूंगफली के तेल में सैचुरेटेड, मोनोसैचुरेटेड और पॉलीसेचुरेटेड फैट का अनुपात संतुलित होता है. दूसरे तेलों के मुकाबले यह दिल की बीमारियों से बचाव करता है. इस तेल में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो बुरे कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) को कम करते हैं.
– नारियल का तेल : दक्षिण भारत में इसका काफी उपयोग होता है. इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, विटामिन ए, बी, सी और प्रचुर मात्रा में मिनरल्स हैं. बीपी और दिल के मरीजों के लिए भी यह उपयोगी है. इसमें मौजूद पोटेशियम दिल की गतिविधियों को ठीक रखने में सहायक है.
– जैतून का तेल : इस तेल का उपयोग हृदय रोगियों के लिए लाभकारी माना जाता है. इसमें फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो हृदय रोग के खतरे को कम करता है. इसमें सैचुरेटेड फैट भी कम होता है, जिससे बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नहीं बढ़ती. हृदयाघात का खतरा कम हो जाता है.
– अलसी का तेल : इसमें ओमेगा-3 और लिगनेंस नामक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. यह घुलनशील और अघुलनशील, दोनों तरह के फाइबर और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है. दिल को दुरुस्त रखने में अलसी का तेल बेहद उपयोगी है. अलसी में पाया जानेवाला ओमेगा-3 फैटी एसिड रक्त नलिकाओं में वसा के जमाव को रोकता है.
– अखरोट का तेल : अखरोट में भी ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है. प्राचीन काल से ही अखरोट का उपयोग स्वास्थ्य के लिए किया जाता है.
अखरोट के तेल से हृदय के विकार लगभग 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है. हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचानेवाले हानिकारक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित रहती है. कैलोरी की अधिकता होने के बावजूद इसके सेवन से वजन नहीं बढ़ता.
– सूर्यमुखी का तेल : इस तेल में विटामिन इ का भंडार है. इसमें सेचुरेटेड फैट कम मात्रा में पाया जाता है. इसका तेल रिफाइंड या अनरिफाइंड, दोनों ही दिल के लिए फायदेमंद है. इसमें सही अनुपात में मौजूद मोनो और पॉलीसेचुरेटेड फैट के कारण यह कॉलेस्ट्रोल लेवल को कम रखता है.
– वनस्पति तेल : यह घी की तुलना में ज्यादा लाभकारी है. इसमें ओमेगा-3 होता है, जो शरीर के लिए जरूरी है. प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों के लिए घी या अन्य पशु उत्पाद तेल की जगह वनस्पति तेल का इस्तेमाल करें, तो लाभ होगा.
– तिल का तेल : तिल के तेल में मैग्नीशियम, कैल्शियम, प्रोटीन, फाॅस्फोरस और लेसिथिन होता है. यह कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को संतुलित बनाये रखने में मदद करता है. इसलिए हृदय रोगियों को इसे आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है. यह उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है.
– सरसों का तेल : सरसों के तेल का इस्तेमाल स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और दिल की बीमारी के जोखिम को लगभग 70 प्रतिशत कम कर सकता है. सरसों शोध एवं संवर्धन कंसोर्टियम (एमआरपीसी) के अनुसार सरसों का तेल दिल की बीमारी के जोखिम को कम करता है. हालांकि, इसकी संतुलित मात्रा ही लेनी चाहिए.

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