19 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

यौन उत्पीड़न की शिकार है हर चार में से एक अमेरिकी महिला

पांच लाख 30 हजार से अधिक लोगों को देती है सुरक्षा अमेरिका में यौन उत्पीड़न एक महामारी बनकर उभरा है. वाईडब्लूसीए इससे महिलाओं को बचाता है और कानूनी सुविधाएं मुहैया कराता है.लिंग आधारित हिंसा अमेरिका में एक महामारी बनकर उभरी है. यहां चार में से एक महिला अपने जीवनकाल में कभी-न-कभी घरेलू हिंसा से प्रभावित […]

पांच लाख 30 हजार से अधिक लोगों को देती है सुरक्षा

अमेरिका में यौन उत्पीड़न एक महामारी बनकर उभरा है. वाईडब्लूसीए इससे महिलाओं को बचाता है और कानूनी सुविधाएं मुहैया कराता है.लिंग आधारित हिंसा अमेरिका में एक महामारी बनकर उभरी है. यहां चार में से एक महिला अपने जीवनकाल में कभी-न-कभी घरेलू हिंसा से प्रभावित रही है. वीमेंस न्यूज में प्रकाशित खबर के अनुसार हर दिन चार में से एक महिला की हत्या उनके अंतरंग साथी द्वारा की जाती है.

अमेरिका की हर तीन में से एक लड़की शारीरिक, मौखिक या भावनात्मक दुर्व्यवहार की शिकार है. हर दो मिनट में एक अमेरिकी महिला का यौन उत्पीड़न होता है.

यदि ये आंकड़े काफी खतरनाक नहीं है, तो जान लें कि यहां रंग भेदी महिला हिंसा चरम पर है. विश्व युवा महिला ईसाई संघ (वाइडब्ल्यूसीए) 120 से अधिक देशों में सशक्तीकरण, नेतृत्व और महिलाओं, युवा महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के काम कर रही एक संस्था है. वाइडब्ल्यूसीए ने अमेरिका में घरेलू हिंसा को सबसे बड़ा खतरा माना है.

उनका कहना है कि हम हर दिन देश में नस्लीय न्याय और लिंग न्याय पर काम करते हैं, हमारे 215 वाइडब्ल्यूसीए संघों में हर साल पांच लाख 30 हजार से अधिक लोगों को सेवा देते हैं. हमारा काम हमें रंग भेद के कारण हिंसा से बचे लोगों की चुनौतियों का समाधान करना है.

प्रारंभ से ही नस्लवाद विश्व की मुख्य समस्या रही है. अमेरिका में अश्वेत महिलाओं के साथ अंतरिम साथी द्वारा हिंसा श्वेत महिलाओं की तुलना में 35 प्रतिशत और अन्य जातियों से 22 गुना अधिक है. अमेरिका में 60 प्रतिशत अश्वेत लड़कियों ने 18 साल की उम्र से पहले यौन उत्पीड़न का अनुभव किया है.

प्रारंभिक विद्यालय के शुरुआती समय में जिन लड़कियों के साथ ऐसी घटनाएं होती हैं आगे चल कर उनका अपराधीकरण हो जाता है. किशोर न्यायालयों में ऐसी लड़कियों के कई मामले लंबित हैं. जिन लड़कियों का किशोरावस्था में यौन उत्पीड़न हुआ है वे इससे बाहर नहीं निकल पातीं और इसी में फंस कर रह जाती हैं.

किशोर न्याय प्रणाली में 90 प्रतिशत लड़कियां हिंसा व दुर्व्यवहार की शिकार हैं. प्रारंभिक जीवन में नस्लवाद और लिंग आधारित हिंसा का प्रभाव इन लड़कियों पर आजीवन प्रभाव डालता है. आगे चल कर ये प्रताड़ित लड़कियां नस्लवाद को बढ़ावा देती हैं जिनके भयानक परिणाम देखने को मिले हैं. लेकिन वे इससे बाहर निकलकर बेहतर जीवन जीने की आशा नहीं रखती.

ऐसे लोगों के मन में ऐसी भावना पनपने लगती है कि उन्हें उनके रंग या जाति के कारण यह झेलना पड़ा है. इसलिए वाइडब्लूसीए का मानना है कि रंग जाती भेद से निबटना यौन हिंसा को रोकना है.

ट्रंप प्रशासन के बाद बढ़ी रंगभेदी हिंसा

ट्रंप प्रशासन के आने के बाद ऐसे रंग भेदी हिंसा को और समर्थन मिला है. साल के शुरू में, एक एल पासो महिला को आइसीइ अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था. जबकि न्यायालय ने अपने सुरक्षात्मक आदेश में स्पष्ट किया है कि ऐसे किसी अप्रवासी को गिरफ्तार नहीं किया जायेगा.

अमेरिका में नये आप्रवासियों को वेवजह भी परेशान किया जा रहा है जबकि उनके पास सभी आवश्यक दस्तावेज होते हैं. फिर भी उन्हें सांस्कृतिक व भाषाई अवरोधों का सामना करते हैं. इन बढ़ती चुनौतियों के बावजूद वाइडब्ल्यूसीए महिलाओं और परिवारों के सहयोग के रूप में खड़ा है. संस्था महिलाओं को सुरक्षित आवास व कानूनी सहायता उपलब्ध कराता है जो उन्हें नये जीवन को शुरू करने के लिए सशक्त बनाते हैं.

संस्था का मानना है कि जब तक दुनिया में नस्ली व लैंगिक हिंसा रहेगी हम उसके विरोध में काम करते रहेंगे. हमें यह सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए कि हिंसा के बचे लोगों को उन संसाधनों तक पहुंच हो, जिनकी उन्हें जरूरत है. हम तब तक काम करेंगे जब तक की लोगों को सुरक्षित वातावरण न मिल जाये.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें