Vidur Niti: महाभारत के महान पात्रों में विदुर का नाम विशेष रूप से लिया जाता है. वे दासीपुत्र होने के बावजूद भी अपनी बुद्धिमत्ता, धर्मनिष्ठा और नीति ज्ञान के बल पर उन्होंने हस्तिनापुर की राजनीति में एक ऊंचा स्थान बनाया. विदुर को धर्म का रक्षक और सत्य का मार्गदर्शक कहा जाता है. उन्होंने कभी सत्ता या लोभ के आगे सिर नहीं झुकाया और न ही रिश्तों के मोह में आकर सत्य से समझौता किया. यही कारण है कि उनकी बातें आज भी प्रासंगिक हैं और जीवन की कठिन परिस्थितियों में सही निर्णय लेने की प्रेरणा देती हैं.
- विदुर नीति में मानव जीवन की जटिलताओं और सुख के वास्तविक कारणों का उल्लेख मिलता है. उनके अनुसार, सच्चा सुख केवल भौतिक वस्तुओं में नहीं, बल्कि जीवन के संतुलित और धर्मनिष्ठ आचरण में निहित है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस मनुष्य के पास आय के कई स्रोत होते हैं, वह निश्चिंत और सुखी रहता है. आय के विविध साधन जीवन में स्थिरता और आत्मविश्वास लाते हैं.
- इसके साथ ही विदुर ने स्वास्थ्य को भी सबसे बड़ा सुख माना है. यदि कोई व्यक्ति निरोगी है और उसे बीमारी नहीं है, तो वह स्वाभाविक रूप से प्रसन्न रहता है. स्वास्थ्य ही जीवन की असली पूंजी है.
- विदुर नीति में पत्नी के महत्व पर भी जोर दिया गया है. वे कहते हैं कि जिसकी पत्नी हर परिस्थिति में साथ देती है, वह व्यक्ति कठिन से कठिन समय में भी हिम्मत नहीं हारता और हमेशा प्रसन्न रहता है. इसके अलावा, अगर पत्नी की वाणी मधुर हो, तो घर का वातावरण स्वतः ही सुखमय बन जाता है.
- विदुर ने यह भी बताया कि जिसका पुत्र अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करता है, वह परिवार हमेशा सुखी रहता है. आज्ञाकारी संतान परिवार की ताकत होती है और माता-पिता के जीवन में आनंद भर देती है.
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