Sadhguru: सद्गुरु कहते है कि हर घर की यह पुरानी कहानी है – सास चाहती है कि बहू उसके मुताबिक बदले, बहू चाहती है कि सास अपनी समझदारी दिखाए. यही नहीं, पति-पत्नी और माता-पिता और बच्चों के रिश्ते में भी यही स्थिति है. सद्गुरु कहते हैं, सदियों से इंसान की सबसे बड़ी समस्या यही रही है – वह खुद को बदलने के बजाय दूसरों के बदलने की उम्मीद करता है. और फिर खुद ही दुख झेलता है.
Sadhguru on Relationship Tips: रिश्तों की जड़ में बदलाव की उम्मीद कितनी सही?

हमारे समाज में पीढ़ियों से यह धारणा चली आ रही है कि बदलाव हमेशा दूसरे व्यक्ति में होना चाहिए. और हमें तो दूसरे की बुराई सबसे पहले नजर आती है. सास-बहू, पति-पत्नी और माता-पिता-बच्चों के बीच का यह उलझन रिश्तों में तनाव पैदा करता है. सद्गुरु का मानना है कि जब तक इंसान खुद को बदलने की पहल नहीं करता, तब तक यह समस्या खत्म नहीं होगी.
सद्गुरु कहते है कि यह समस्या इतनी पुरानी है कि गुफाओं में रहने वाले लोग भी इससे जूझते रहे होंगे. उन्होंने बताया कि आज भी लोग वैसे ही हैं क्योंकि उन्होंने कभी खुद को बदलने की कोशिश नहीं की.
मुझे विश्वास है कि गुफाओं में रहने वाले भी यही समस्या झेलते होंगे. आज भी लोग वैसे ही हैं, क्योंकि वे खुद को बदलने को तैयार नहीं हुए.
– सद्गुरु
खुद को बदलना ही असली क्रांति
सद्गुरु कहते हैं, मैं बदलने के लिए तैयार हूं – यही असली क्रांति है, जो सच में मायने रखती है. उनका मानना है कि जब इंसान अपने भीतर परिवर्तन करता है, तो उसका असर पूरे परिवार और समाज पर पड़ता है.
मैं बदलने के लिए तैयार हूं, यही असली क्रांति है – सद्गुरु
सद्गुरु के विचार यह सिखाते हैं कि बदलाव का रास्ता खुद से होकर गुजरता है. जब हम खुद को सुधारते हैं, तो हमारे रिश्ते अपने आप बेहतर हो जाते हैं. असली बदलाव दूसरों से उम्मीद करने में नहीं, बल्कि खुद पहल करने में है.
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