Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज सिर्फ एक साधु या संत नहीं हैं, बल्कि वे भक्तों के लिए एक अद्वितीय दिव्य अनुभव का स्रोत हैं. उनकी उपस्थिति किसी पवित्र तीर्थ स्थान की तरह होती है, जहां जाकर हर विचार शांत हो जाता है और आत्मा गहरी शांति में लीन हो जाती है. उनका व्यक्तित्व सरलता, निष्कलंकता और गहरी आध्यात्मिक समझ से परिपूर्ण है, जो उनके हर शब्द और कर्म में झलकता है. प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन और सत्संग सोशल मीडिया पर लाखों लोगों के दिलों में गहरी छाप छोड़ते हैं, और उनकी शिक्षाएं जीवन के कठिन मार्गों को आसान बनाने के लिए नई दिशा प्रदान करती हैं. वे अक्सर कई विषयों पर बात करते हैं. ऐसे ही एक बार उन्होंने पितृ दोष के संकेतों को लेकर बात की थी.
भक्ति में कर्मकांड से बचें
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि भगवान के प्रति श्रद्धा ही सच्ची भक्ति होती है और जिस भक्ति में कर्मकांड और अनुष्ठान आ जाए, तो वहां भक्ति नहीं रह जाती है. उस भक्ति का फिर कोई मोल नहीं रह जाता है. वे कहते हैं अगर आप तावीज जैसे कर्मकांडों को बढ़ावा देने का काम करेंगे, तो पितृ दोष भी लोगों को लग सकता है. इसीलिए भक्ति में दिखावा करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक परिणाम देते हैं.
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सच्चे मन और ईमानदारी से करें भक्ति
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, जो मनुष्य भगवान की प्रार्थना सच्चे मन और ईमानदारी से करता है, उसके जीवन में किसी भी तरह की असुरक्षा की भावना से नहीं गुजरता है. वह हर तरह के दोषों जैसे पितृ दोष, शनि दोष को खत्म कर देता है.
इन बातों का भी रखें ख्याल
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने पूर्वजों का अपमान करता है और गौ हत्या जैसे बुरे कर्म करता है, तो उसे पितृ दोष लगता है.
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