Osho Quotes: जब भी आप किसी परीक्षा की तैयारी करते हैं तो आपने अक्सर महसूस किया होगा कि अगर मैं फेल हो गया तो क्या होगा? या फिर अगर मैं जिंदगी में कुछ नहीं कर पाया तो क्या होगा? यह असफलता का डर हर किसी के मन में होता है. जब यह डर हद से ज्यादा बढ़ जाए तो इससे हमारा कॉन्फिडेंस खो जाता है, जिससे हमारी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है. लेकिन महान दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु ओशो की मानें तो इंसान के अंदर आने वाला असफलता का डर सिर्फ एक अनुभव है. इसे लेकर डर के साये में रहना व्यर्थ है.
स्वयं को जानकर परिस्थितियों को स्वीकार करना सबसे जरूरी
ओशो के अनुसार, डर का सामना करने का सबसे प्रभावशाली तरीका है स्वयं को जानना और परिस्थितियों को स्वीकार करना. उन्होंने बताया कि जब हम अपने आप को समझते हैं और अपने भावनाओं को पहचानते हैं तो असफलता का डर अपने आप कम हो जाता है.
असफलता कोई शत्रु नहीं है
ओशो कहते हैं कि असफलता इंसान का शत्रु नहीं है. यह जीवन का एक हिस्सा है. जो व्यक्ति इसे स्वीकार कर लेता है, वही सच्ची आजादी का अनुभव करता है.” उनका कहना था कि डर को मात देने के लिए व्यक्ति को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए. उन्हें पहले ही मन में आने वाले फेल होने के डर को सोचना छोड़ देना चाहिए. अगर असफल हो भी जाएं तो उसे अपने अनुभवों से सीखने की आदत डालनी चाहिए.
मानसिक तैयारी और सकारात्मक दृष्टिकोण
ओशो का कहना था कि असफलता के लिए मानसिक रूप से खुद तैयार करना और सकारात्मक नजरिया अपनाना फेल्योर के डर को कम करता है. उनकी यह सीख खासकर से युवाओं के लिए बेहद मददगार है, जो करियर या व्यक्तिगत जीवन में नए कदम उठाने से पहले असफलता के डर में फंस जाता है. उनके अनुसार, डर पर काबू पाने का सबसे बड़ा हथियार है स्वयं की समझ और अनुभव से सीखने की तत्परता.

