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लाख कोशिशों के बाद भी नहीं हो रही Love Marriage, करें ये छोटा सा उपाय

Love Marriage Upay: कई बार जन्म कुंडली और ग्रहों के कारण प्रेम विवाह में बड़ी अड़चने आती है, जिसके कारण प्रेम संबंध टूट जाते हैं और रिश्ता खत्म हो जाता है. जिसके बाद पछताने के अलावा कोई रास्ता नहीं होता, लेकिन अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. आपको बस करना होगा ये छोटा सा उपाय...

Love Marriage Upay: भले ही आज हम 21वीं सदी में जी रहे है, लेकिन आज भी कुछ लोग धर्म और जात/पात से ऊपर नहीं उठ पाए हैं. वहीं बात अगर शादी/विवाह की हो तो ऐसे में दोनों परिवार के घर, खानदान, जाति धर्म और कुंडली आदी का मिलान किया जाता है. इसके अलावा ऐसे कई लोग भी है, जिनका सब कुछ मिलान होने बाद भी शादी नहीं हो पा रही या कुछ अड़चनें आ रही है, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं हैं, क्योंकि आज आपको ऐसे उपाय बताने जा रहें हैं, जिसके माध्यम से आपका लव मैरिज सक्सेस होगा…आइए जानें क्या है उपाय

प्रेम विवाह के उपाय

अगर आप कुछ ज्योतिषीय उपाय में विश्वास करते हैं, तो आपके लिए ये उपाय करना आसान होगा. शास्त्रों के अनुसार स्कंद पुराण में जानकी स्तुति का वर्णन किया गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आप लव मैरिज करना चाहते हैं तो श्रीराम और माता सीता की नियमित पूजा करने से ये संभव हो सकता है. साथ ही श्री जानकी स्तुति की माला का नियमित रूप से जाप करें. इन उपायों को करने से प्रेम विवाह में आ रही अड़चने कम होगी. इतना ही नहीं जीवन के सभी संकट भी दूर होंगे और अशुभ ग्रहों से मुक्ति मिलेगी, शत्रुओं द्वारा उत्पन्न कष्ट दूर होगें.

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श्री जानकी स्तुति पाठ

जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ।

जानकि त्वां नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ।। दारिद्र्यरणसंहत्रीं भक्तानाभिष्टदायिनीम् ।

विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम् ।। भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम् ।

पौलस्त्यैश्वर्यसन्त्री भक्ताभीष्टां सरस्वतीम् ।। पतिव्रताधुरीणां त्वां नमामि जनकात्मजाम् ।

अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम् ।। आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहम् ।

प्रसादाभिमुखीं लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभाम् ।। नमामि चन्द्रभगिनीं सीतां सर्वाङ्गसुन्दरीम् ।

नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरम् ।। पद्मालयां पद्महस्तां विष्णुवक्षस्थलालयाम् ।

नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननाम् ।। आह्लादरूपिणीं सिद्धि शिवां शिवकरी सतीम् ।नमामि विश्वजननीं रामचन्द्रेष्टवल्लभाम् ।।

सीतां सर्वानवद्याङ्गीं भजामि सततं हृदा । इति श्रीस्कन्दमहापुराणे सेतुमाहात्म्ये श्रीजानकीस्तुतिः सम्पूर्णा ।।

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