कान्हा की नगरी मथुरा और ब्रज क्षेत्र की होली सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में प्रसिद्ध है. यहां की होली देखने के लिए हर साल देश विदेश से लोग पहुंचते हैं. मथुरा के ग्रामीण अंचल में भी विभिन्न प्रकार से होली पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसा ही एक रिवाज ग्राम पंचायत नैनूपट्टी के 22 मजरों में देखने को मिला. जहां लोग मंडली बनाकर नगाड़ा बाजाकर घर-घर पहुंचे हैं. गुलाल लगाकर आशीर्वाद और होली की शुभकानाएं देते हैं. इसके उपरांत नैनूपट्टी के 22 मजरों में बारी-बारी से फूलडोल मेला व चरकुला नृत्य का आयोजन होने लगते हैं. नैनूपट्टी के प्रधान डा.देवेंद्र सिंह ने बताया कि कई दशकों से पंचायत क्षेत्र में नगाड़ा बजाकर होली खेलने की शुरुआत होती है. इस दौरान महिलाएं होली गीत व रसिया का गायन करती हैं.
इन गांवों से नगाड़ा बजाकर होती है होली की शुरुआत
भूचन, घनिया, हरजू, कनकू, नैनू, खिलू, नगला पतराम, सैदा, नगला जंगली, माधूलोकरा, नगला टूड़ा, नगला आशिया, चेताखेड़ा, माढ़ा, चौथईया, डोमपुरा, घड़ी विस्सा, भाउ, खुटिया, नगला बारी, नगला अक्खा, अलावल जैसे गांवों से नगाड़ा बजा कर होली खेलने की शुरुआत होती है.
ब्रज में होली की ये भी अनूठी परंपरा
लड्डू होलीः बरसाना के लाडली जी मंदिर में लठामार होली से एक दिन पूर्व लड्डू होली होती है. इसमें लड्डुओं की बरसात होती है.
लठामार होली
बरसाना में हुरियारिन हुरियारिनों पर लठ बरसाती हैं. जिसे हुरियारे अपनी ढाल पर रोकते हैं. इसके अलावा नंनगांव व रावल में भी लठामार होली होती है.
छड़ीमार होली
इसका आयोजन गोकुल में होता है मान्यता है कि होली पर शरारत करने पर गोपिकाएं बालक कान्हा को छड़ी से मारती हैं. ताकि कान्हा को चोट न लग जाए.
कीचड़ होली
नौहझील में कीचड़ होली होती है.
चप्पल मार होली
यह 150 वर्ष पुरानी परंपरा है. बछगांव में अंग्रेजो द्वारा किए गए जुल्म का विरोध करने पर चप्पल मार होली खेली गई.

नगाड़ा होली
नैनूपट्टी के 22 मजरों में नगाड़ों के साथ घर-घर पहुंच कर हुरियारिनें नगाड़ा होली खेलती हैं. होली की शुभकानाएं देती हैं.