Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता मानव जीवन के लिए प्रकाश स्तंभ के समान है. इसका ख्याति केवल भारतवर्ष तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे विश्व में फैली हुई है. इसके सिद्धांतों ने लोगों को जीवन जीने की दिशा दी है. महाभारत के युद्धक्षेत्र में जब अर्जुन मोह और शोक में डूब गए थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें कर्तव्य, धर्म और आत्मज्ञान का उपदेश दिया. द्वापर युग में दिए गए उसी उपदेश की प्रासंगिकता आज के घोर कलियुग में भी उतनी ही है.
रोज सुबह करें गीता का पाठ
कहा जाता है कि गीता उपदेश में जीवन की प्रत्येक उलझन का समाधान निहित है. यदि व्यक्ति प्रतिदिन सुबह गीता का पाठ करे तो उसका मन शांत रहता है और जीवन का मार्ग प्रशस्त होता है. भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि अटूट विश्वास से ही वास्तविक शक्ति का जन्म होता है. जो व्यक्ति अपने कर्मों में संतुलन बनाए रखता है, वही सच्चा योगी कहलाता है.
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- गीता का संदेश है कि जिसने अपने कर्मों और इंद्रियों को संयमित कर लिया, वही वास्तव में वीर और विजयी है, क्योंकि आत्मसंयम सबसे बड़ी विजय है.
- श्रीमद्भगवद्गीता में श्रीकृष्ण स्पष्ट करते हैं कि कर्म ही जीवन का मूल है. बिना कर्म किए कोई भी व्यक्ति उन्नति नहीं कर सकता, सफलता केवल परिश्रम और कर्तव्य पालन से मिलती है.
- सच्चे और धर्मनिष्ठ व्यक्ति को दुष्ट लोग बार-बार परेशान करते हैं, किंतु सच्चाई का मार्ग कभी विचलित नहीं होता. धर्म की विजय सदैव सुनिश्चित है. सुख और दुख जीवन में रात्रि और दिवस की भांति आते-जाते रहते हैं. जो मनुष्य न तो सुख में अहंकार करता है और न दुख में विचलित होता है, वही वास्तव में योगी कहलाता है.
- गीता यह भी सिखाती है कि केवल भौतिक ज्ञान ही वास्तविक ज्ञान नहीं है. जो व्यक्ति आत्मा और ब्रह्म के सत्य को पहचान लेता है, वही ज्ञानी कहलाता है. इस प्रकार गीता मानव जीवन को सार्थक बनाने वाली अमूल्य धरोहर है, जो प्रत्येक व्यक्ति को धर्म, कर्म और ज्ञान का मार्ग दिखाती है.
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