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Deendayal Upadhyaya Quotes: दीनदयाल उपाध्याय के प्रेरणादायक कोट्स, पढ़ें उनके सबसे मशहूर 20 कथन

Deendayal Upadhyaya Quotes: इस आर्टिकल में हम लेकर आए हैं उनके सबसे मशहूर 20 प्रेरणादायक कथन, जो आपको मोटिवेशन देंगे के साथ ही देश, समाज व जीवन को समझने का नया नजरिया भी देंगे.

Deendayal Upadhyaya Quotes in Hindi: पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक बड़े विचारक, समाजसेवी और नेता थे. उन्होंने हमेशा समाज, देश और आम लोगों के हित में काम किया. उनके विचार बहुत साफ, सच्चे और प्रेरणादायक होते हैं. उन्होंने “एकात्म मानववाद” की बात की, जिसमें व्यक्ति, समाज और देश को एक साथ जोड़ने की सोच है. उनके कहे हुए शब्द आज भी लोगों को सही रास्ता दिखाते हैं और सोचने पर मजबूर करते हैं. ऐसे में इस आर्टिकल में हम लेकर आए हैं उनके सबसे मशहूर 20 प्रेरणादायक कथन, जो आपको मोटिवेशन देंगे के साथ ही देश, समाज व जीवन को समझने का नया नजरिया भी देंगे.

Deendayal Upadhyaya Quotes

“हमारी आर्थिक नीति ऐसी होनी चाहिए जो हमारी संस्कृति के अनुरूप हो.”

“हम पश्चिमी विचारों की नकल करके भारतीय समाज की समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते.”

“राष्ट्र कोई मिट्टी का ढेर नहीं, बल्कि एक जीवंत संस्कृति है.”

“भारत को भारत की दृष्टि से देखना होगा, तभी हम अपने रास्ते पर चल पाएंगे.”

“मनुष्य न केवल शरीर है, बल्कि वह चित्त, बुद्धि और आत्मा से भी बना है.”

“एकात्म मानववाद का लक्ष्य है – व्यक्ति, समाज और प्रकृति के बीच संतुलन.”

“राज्य का कर्तव्य है कि वह समाज को दिशा दे, लेकिन समाज के स्वाभाविक विकास में बाधा न बने.”

“सत्ता सेवा का माध्यम होनी चाहिए, नियंत्रण का नहीं.”

“समाज की अंतिम इकाई – अंतिम व्यक्ति – तक विकास पहुंचे, यही हमारी योजना होनी चाहिए.”

“भारतीय विचारधारा में धर्म का मतलब संप्रदाय नहीं, बल्कि कर्तव्य है.”

“नैतिकता के सिद्धांत किसी के द्वारा बनाये नहीं जाते, बल्कि खोजे जाते हैं.”

“धर्म वह शक्ति है जो व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को एकता में बांधती है.”

“समाज का विकास अंतिम व्यक्ति के उत्थान से ही मापा जाना चाहिए.”

“राजनीति केवल सत्ता प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि समाजसेवा का माध्यम है.”

“संवेदनशीलता और नैतिकता के बिना विकास केवल विनाश का रास्ता है.”

“भारतीयता का अर्थ है – अपनी जड़ों से जुड़कर आधुनिकता को अपनाना.”

“यदि हम अपने राष्ट्रीय चरित्र को भूल गए, तो स्वतंत्रता खोने में देर नहीं लगेगी.”

“आर्थिक समृद्धि का उद्देश्य केवल भोग नहीं, बल्कि समाज का संतुलित विकास है.”

“हमारा राष्ट्र एक भूखंड नहीं, अपितु एक जीवंत सांस्कृतिक चेतना है.”

“सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना राष्ट्र की आत्मा की रक्षा करना है.”

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

Shubhra Laxmi
Shubhra Laxmi
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