Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की नीति आज भी जीवन, समाज और राजनीति के लिए मार्गदर्शक मानी जाती है. चाणक्य का मानना था कि जीवन में धन का महत्व तो है, लेकिन यदि धन के साथ ज्ञान और विवेक न हो तो वह व्यक्ति के लिए बोझ से अधिक कुछ नहीं.
Chanakya Niti in Hindi: चाणक्य का विचार
चाणक्य ने कहा है –
विद्या बिना धन व्यर्थ है, जैसे अंधे के लिए दर्पण.
इस कथन का अर्थ है कि यदि किसी व्यक्ति के पास अपार संपत्ति है लेकिन उसके पास ज्ञान नहीं, तो वह उस धन का सही उपयोग नहीं कर पाएगा. न केवल उसका जीवन संकटों से घिरा रहेगा बल्कि वह समाज के लिए भी उपयोगी नहीं बन पाएगा.
Acharya Chanakya Niti Significance: आज के समय में प्रासंगिकता

आज का दौर भौतिक सुख-सुविधाओं और पैसों पर टिका हुआ है. लोग दिन-रात धन कमाने की दौड़ में लगे रहते हैं, लेकिन वित्तीय ज्ञान, नैतिक मूल्य और विवेक की कमी उन्हें सही निर्णय लेने से रोक देती है. यही कारण है कि कई बार लोग अचानक मिले धन को संभाल नहीं पाते और कर्ज या बर्बादी का शिकार हो जाते हैं.
ज्ञान न केवल व्यक्ति को सही-गलत की पहचान कराता है बल्कि धन के उचित प्रबंधन की समझ भी देता है. उदाहरण के लिए –
- यदि किसी के पास धन है लेकिन निवेश और बचत का ज्ञान नहीं है, तो वह जल्द ही आर्थिक संकट में आ जाएगा.
- वहीं यदि किसी के पास सीमित साधन हैं लेकिन विवेक और समझ है, तो वह अपने जीवन को संतुलित और सुखद बना सकता है.
Chanakya Niti Quotes
“विद्या के बिना धन अंधे के हाथ में दीपक के समान है.” – आचार्य चाणक्य
आज समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि लोग केवल धन कमाने की दौड़ में ज्ञान और नैतिक मूल्यों की अनदेखी कर रहे हैं. आचार्य चाणक्य की यह नीति हमें याद दिलाती है कि ज्ञान के बिना धन केवल दिखावे की वस्तु है, जो अंततः बोझ बनकर रह जाता है.
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