Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य एक अर्थशास्त्री होने के साथ कूटनीतिज्ञ और रणनीतिकार थे. उन्होंने एक ग्रंथ की रचना की, जो कि लाखों लोगों के लिए मार्गदर्शक भूमिका अदा करता है. यह ग्रंथ चाणक्य नीति के नाम से प्रसिद्ध है. इस ग्रंथ में चाणक्य के अपनी शिक्षा और जीवन के अनुभवों के बारे में समाज के हर पहलू पर विस्तार से चर्चा की है. चाणक्य नीति में राजनीतिक, धार्मिक, निजी संबंधों से जुड़े जीवन के विभिन्न विषयों पर नीतियां बताई हैं. चाणक्य नीति के पांचवें अध्याय में चाणक्य ने सच्ची मित्रता को पारिभाषित किया है. एक श्लोक के माध्यम से चाणक्य कहते हैं कि जो सदैव अपने मित्र का हित चिंतन करे और विपरीत परिस्थितियों में उसका साथ न छोड़ें वही सच्चा मित्र होता है. ऐसे में व्यक्ति के अलावा, कुछ और वस्तुएं होती हैं, जो कि व्यक्तियों के लिए सच्ची मित्र साबित होते हैं.
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्रं गृहेषु च।
व्याधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च।।
चाणक्य नीति में लिखा इस श्लोक का अर्थ है कि विदेश में विद्या, घर में पत्नी, रोग में दवाई और मर चुके व्यक्ति के लिए धर्म-कर्म ही सच्चा मित्र होता है. ऐसे में इस श्लोक का आसान शब्दों में मतलब समझते हैं.
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पहचान दिलाने में जरूरी
आचार्य चाणक्य का कहना है कि जो व्यक्ति घर से बाहर रह रहा है उसके लिए विद्या ही सच्चा दोस्त होता है. घर से बाहर रहने पर शिक्षा के माध्यम से ही हम अपना जीवनयापन कर सकते हैं. विद्या ही घर से बाहर व्यक्ति को पहचान दिलाती है.
घर की सुख-समृद्धि बढ़ाने के लिए जरूरी
पत्नी को लेकर आचार्य चाणक्य का कहना है कि घर में गुणवान और अच्छे स्वभाव वाली पत्नी ही व्यक्ति के लिए सच्ची दोस्त साबित होती है, क्योंकि जो गुणवान पत्नी मिलने पर घर की सुख-समृद्धि में दिनों दिन बढ़ोतरी होती रहती है.
जीवन नष्ट होने से बचाने के लिए जरूरी
रोगी व्यक्ति को लेकर चाणक्य नीति में लिखा है कि उनके लिए इस दुनिया में कोई सच्चा दोस्त होता है, तो वह सिर्फ दवाई ही होती है, क्योंकि एक भी दिन दवाई न मिलने पर उनका जीवन नष्ट होने लगता है और व्यक्ति मौत के करीब जाने लगता है.
मोक्ष का बनती है कारण
चाणक्य नीति के अनुसार, जब हर कोई साथ छोड़ देता है, तो उस धर्म ही मृत व्यक्ति को सद्गति देती है, धर्म ही उसके मोक्ष का कारण बनता है. ऐसे में धर्म भी व्यक्ति के लिए सच्चा दोस्त साबित होती है.
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