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जमुई पॉलिटेक्निक कॉलेज की छात्रा ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लिखा- मां-बाप से लड़ते-लड़ते मैं थक…

जमुई पॉलिटेक्निक कॉलेज के पहले सेमेस्टर की छात्रा शालिनी कुमारी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वहीं अपनी मौत से ठीक पहले उसने पांच पन्ने का एक सुसाइड नोट लिखा है. जिसमें मौत के आखिरी चंद लम्हों में वह किन मिश्रित भाव से गुजरी हैं उसने बताया है..

जमुई स्थित पॉलिटेक्निक कॉलेज में इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष की छात्रा ने बीते मंगलवार देर रात फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली. बुधवार को जब हॉस्टल में रहने वाली अन्य छात्राएं उसे नाश्ता करने के लिए जगाने गई, तब अंदर से दरवाजा नहीं खोलने के बाद उन्होंने इसकी जानकारी वार्डन को दी तथा इसके बाद लोगों को मामले की जानकारी हो पाई. मृतक छात्रा की पहचान लखीसराय जिले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के महसौडा निवासी मुकेश कुमार की 19 वर्षीय पुत्री शालिनी कुमारी के रूप में हुई है. वह पिछले ही हफ्ते कॉलेज में आई थी. आत्महत्या के बाद मौके से पांच पेज का सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है.

रूम नंबर 404 में किया सुसाइड

हॉस्टल की वार्डन गजाला परवीन ने बताया कि बीते मंगलवार देर शाम शालिनी ने अपने अन्य साथी छात्रा के साथ रात का खाना खाया था. हालांकि उसे रूम नंबर 210 अलॉट किया गया था, लेकिन उसने कहा कि उसे देर रात तक पढ़ने की आदत है और वह अकेले में पढ़ना चाहती है. इसके बाद वह रूम नंबर 404 में चली गई थी. उसके बाकी दोस्तों को यह लगा कि वह देर रात तक पढ़ रही है इसलिए सुबह किसी ने उसे जगाने का भी प्रयास नहीं किया. हॉस्टल में सुबह 8:30 बजे छात्राओं को नाश्ता दिया जाता है, लेकिन वह 8:30 बजे तक भी कमरे से बाहर निकाल कर नीचे नहीं आई. सुबह 9:40 बजे के करीब जब बाकी लड़कियां उसे जगाने गई तथा उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया तब अंदर से कोई जवाब नहीं मिला. लगातार दरवाजा पीटने पर भी जब अंदर से जवाब नहीं मिला तब छात्राओं को थोड़ी शंका हुई और उन्होंने इसकी सूचना फोन कर हॉस्टल के वार्डन को दी. इसके बाद वार्डन तथा कॉलेज के प्रिंसिपल सहित कई अन्य लोग पॉलिटेक्निक कॉलेज के गर्ल्स छात्रावास पहुंचे और उन्होंने दरवाजे को खोलने का प्रयास किया.

फांसी के फंदे से लटक कर दी जान

हॉस्टल के वार्डन ने बताया कि लगातार दरवाजा खटखटाने और पीटने के क्रम में अंदर की सिटकनी किसी तरह खुल गई और जब कमरे का दरवाजा खुला तब हमने देखा कि वह फांसी के फंदे में लटकी हुई है तथा उसकी मौत हो गई है. इसके बाद हमने इसकी सूचना पुलिस को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. सदर थानाध्यक्ष राजीव कुमार तिवारी ने बताया कि मामले की सूचना मिली है तथा हमने मृत छात्रा के शव को अपने कब्जे में ले लिया है और उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा है. घटना से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया है, जिसकी जांच की जा रही है.

मौके से बरामद किया गया सुसाइड नोट, पढ़ाई का था दवाब

शालिनी ने आत्महत्या करने से पहले पांच पन्ने का एक सुसाइड नोट भी लिखा है. जिसमें उसने अपने साथ हुई कई घटनाओं का विस्तार पूर्वक जिक्र किया है. शालिनी दरअसल लगातार असफलता और परिवार से पढ़ाई को लेकर बनाये जा रहे दबाव से परेशान थी. उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं नीट करना चाहती थी, लेकिन कई बार ऐसी चीजें हो गई कि मैं उसमें उत्तीर्ण नहीं हो पाई. मैं तैयारी के लिए एक और साल चाहती थी, परंतु मेरे परिवार से मुझे एक साल का वक्त नहीं मिल पा रहा था. उसने लिखा है कि मैं दूसरों से क्या लड़ती जब मेरे अपने ही मेरे किसी काम नहीं आ रहे थे. मेरे पास सुसाइड करने के अलावा कोई उपाय नहीं बचा था. इसके बाद उसने आत्महत्या कर ली.

सुसाइड नोट में क्या लिखा…

शालिनी ने अपने सुसाइड नोट की लिखा है कि हम जो भी करने जा रहे हैं अपने मन से करने जा रहे हैं. इसमें किसी का दबाव नहीं है. जिन लोगों को मेरे कारण परेशानी हुई, उन लोगों से माफी मांगते हैं. अपने लाइफ के बारे में क्या कहें, हम गलत नहीं थे. लेकिन वह सब नहीं मिल पाया, जिससे खुद को सही साबित कर सकें. हम इतने बुरे नहीं थे, जितना आप लोग समझ लिये थे. अपने जिंदगी के बारे में क्या बोलें.

हम क्लास 10 के अंदर थे, तब बहुत अच्छा नहीं कर पाये. हम मेहनत तो बहुत करते थे, लेकिन पता ही नहीं था कि पढ़ना कैसे है. इसलिए बहुत अच्छा नहीं कर पा रहे थे. फिर क्लास 10वीं पास किया, लॉकडाउन लग गया. क्लास 11वीं नहीं पढ़े. इसलिए जब वहां पर क्लास 12वीं में पढ़े तो समझने में बहुत परेशानी हो रही थी. जब बोर्ड एग्जाम 2022 में दिया था, तो एग्जाम बहुत अच्छा तो नहीं गया था, लेकिन बढ़िया गया था. लेकिन किस्मत का खेल ऐसा था कि जितना ऑब्जेक्टिव सही हुआ, उससे कम नंबर आया. फिर घर में सब बोले कि हमको विश्वास नहीं होता है कि इसके साथ ही यह सब कैसे होता है.

अब हम किसको क्या समझते. फिर टारगेट पढ़ने गये और साइड से बोर्ड की भी तैयारी कर रहे थे. 2023 में फिर परीक्षा दी. रिजल्ट निकला तो अच्छा रिजल्ट नहीं आया, पर ठीक-ठाक आया. फिर बायोलॉजी के साथ मैथ भी पढ़े, ताकि फिजिक्स पढ़ने में आसानी हो, और हुआ भी. हम भी खुश हो गये थे कि अब पढ़ाई सब कुछ समझ में आ रहा है. अच्छा होगा सब कुछ मेरी लाइफ में. लेकिन फिर नीट का एग्जाम दिया और क्वेश्चन भी अच्छा आया था, इस बार सलेक्शन तो नहीं होता, लेकिन अच्छा नंबर आता. हमसे जितना क्वेश्चन बना, पहले बना लिये. फिर अंदाजे पर टिक ज्यादा लगा दिये. इस कारण नेगेटिव मार्क ज्यादा हो गया.

नीट में बहुत गंदा रिजल्ट आया. फिर एग्रीकल्चर का एग्जाम दिये. इस बार एग्जाम में नेगेटिव ज्यादा नहीं किया. क्योंकि नीट के रिजल्ट से हम डर गये थे. लेकिन उसका रिजल्ट भी काफी गंदा आया. हम घर में बोले कि एक साल तैयारी का और मौका दो. तो बोला गया कि नहीं देंगे. तुम चार-पांच साल तैयारी करती रहोगी. मैंने कहा कि चार-पांच साल नहीं मांगेंगे, लेकिन घर में कोई नहीं माना.

शालिनी ने अपने सुसाइड नोट में आगे लिखा है कि मैं अपने परिवार वालों से बहुत सी बातें कह रही थी. लेकिन कोई मेरी बात नहीं सुन रहा था. जब मेरे मम्मी-पापा मेरी बात नहीं सुन रहे थे, तो किसके पास जाते. मेरा चरित्र भी अच्छा है. इसलिए इस दुनिया में मेरा कोई और नहीं था. मम्मी को समझाते थे तो बोलते थे कि इसकी शादी करके विदा कर दीजिए, इसको क्यों रखे हुए हैं.

पापा बोलते थे कि तुम्हें बेकार बढ़िया स्कूल में पढ़ा दिया. नहीं पढ़ाते, तो तुम्हारा मन नहीं बढ़ता. किस्मत और मां-बाप से लड़ते-लड़ते मैं थक गयी थी. इसलिए अब किसी के साथ नहीं लड़ना चाहती थी. अब बस चाहते थे कि अंत हो जाये इस जिंदगी का. क्या कहें मम्मी-पापा दरवाजा बंद कर दिये, तो भगवान से मन्नत मांगी थी. लेकिन कैसे भी मांगी, पूरा नहीं हुई.

शालिनी ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि मैंने मन्नत मांगी थी कि अगर मुझे तैयारी के लिए एक साल का और मौका मेरे मम्मी-पापा देंगे तो मैं लाल कपड़े में नारियल बांधकर भगवान पर चढ़ाऊंगी. पर भगवान ने भी मेरी नहीं सुनी. मां बाप के साथ-साथ भगवान ने भी मेरा दरवाजा बंद कर दिया.

शालिनी ने आगे लिखा है कि मुझे किसी से कोई शिकवा शिकायत नहीं है, पर मैं अपने मां-बाप पर बोझ नहीं बनना चाहती थी. इसलिए मेरा यहां से जाना जरूरी था. लेकिन जाते-जाते मुझे एक बात समझ में आ गयी कि इस जालिम दुनिया में कोई किसी का अपना नहीं होता. मैं नीट करना चाहती थी, लेकिन मेरे मम्मी पापा ने मुझे यहां भेज दिया. उन्होंने तो मुझसे छुटकारा पा लिया. पर मैं कैसे छुटकारा पाती. सब लोग खुश रहते थे मैं अकेले कोने में बैठी रहती थी. यह सब आज सच लग रहा है.

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पुलिस मामले की कर रही छानबीन

घटना के बाद उसके परिजनों को भी इसकी सूचना दी गई तथा मृतक छात्र के माता-पिता बुधवार दोपहर बाद कॉलेज पहुंचे. इस दौरान उनके चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया. फिलहाल पुलिस पूरे मामले में प्राथमिकी दर्ज कर इसकी छानबीन में जुट गई है तथा घटना के बाद कॉलेज के अन्य छात्राओं में भी भय और दहशत का माहौल देखने को मिल रहा है.

प्रभात अपील

जीवन अनमोल है. यह पढ़ाई-लिखाई, दौलत-शोहरत से भी कीमती चीज है. पढ़ाई की एक उम्र होती है, लेकिन जीवन लंबा होता है. इसे अनुभवों के रास्ते ही जिया जा सकता है. अभिभावक भी यह समझें कि केवल पढ़-लिख कर ही जीवन में कुछ बनें, यह जरूरी नहीं है. समाज में कई ऐसे उदाहरण हैं, जो कम पढ़-लिख कर भी मेहनत के बूते आर्थिक रूप से सबल बन पाये हैं. ऐसे में बच्चों पर अतिरिक्त दबाव अनावश्यक है. उन्हें खुद की समझ विकसित करने दें. आप केवल सही राह दिखाएं. सहयोग करें. हां, यह भी आवश्यक है, कि बच्चों की अपनी आर्थिक स्थिति से भी अवगत कराएं. उन्हें हौसला दें, जज्बात में आकर बड़े-बड़े सपने न दिखाएं. जब बच्चे सच जानेंगे, तो उसी के अनुसार अपने करियर को बेहतर तरीके से तराशेंगे. बच्चे भी यह समझें, कि दुनिया का कोई भी मुकाम सिर्फ जिंदा रहकर ही पाया जा सकता है. आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.

Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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