Dengue vaccine not found, more than 100 countries million people affected every year एडीज मच्छर से काटने से होने वाली बीमारी को डेंगू कहा जाता है. यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि अगर इसका सही से इलाज नहीं किया जाए तो एक दिन में मरीज की मौत भी हो सकती है. अंग्रेजी वेबसाइट ब्रेकडेंगू की मानें तो इससे करीब 150 देश प्रभावित है. वहीं, दुनियाभर के करीब 300 करोड़ लोगों का इससे संक्रमण का खतरा है. जबकि, अमेरिकी जर्नल में छपी खबर के मुताबिक 40 करोड़ लोग इससे प्रतिवर्ष प्रभावित होते है. ऐसे में देखा जाए तो कोरोना से कम खतरनाक नहीं है डेंगू. भारत में इसके प्रति जागरूकता के लिए हर वर्ष 16 मई को नेशनल डेंगू दिवस मनाया जाता है.
शुरूआत में यह बुखार बिल्कुल सामान्य बुखार की तरह होती है. जिसमें मरीज को अंदाजा भी नहीं लग पाता कि उसे डेंगू हुआ है. लेकिन, बाद में पूरे शरीर में असहनीय दर्द महसूस होने लगता है. इसे “हड्डीतोड़” बुखार भी कहा जाता है. जिसमें हड्डियां टूटने सा दर्द महसूस होता है.
डेंगू रक्तस्रावी बुख़ार है. जिसके कारण रक्त वाहिकाओं यानि रक्त ले जाने वाली नलिकाओं में रक्तस्राव या रिसाव हो जाता है तथा रक्त प्लेटलेट्स (जिनके कारण रक्त जमता है) का स्तर कम होता है.
चुंकी इसका अबतक वैक्सीन नहीं बन पाया है, इसलिए यह बीमारी हर वर्ष महामारी के तरह फैलती है. ज्यादातर यह बारिश के मौसम में ही फैलती है. विशेषज्ञों कि मानें तो जब डेंगू रोग अपने प्रारंभिक चरणों में होता है तो इसकी पहचान कर पाना असंभव होता है.
कई बार इसे लेकर दावा भी किया जा चुका है कि इसका वैक्सिन बना लिया गया है लेकिन अबतक इसमें सफलता नहीं मिल पायी है. विशेषज्ञों की मानें तो इसके अनोखेपन के चलते इसके ख़िलाफ़ वैक्सीन बनाना बेहद मुश्किल हो गया है. यह वायरस अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरह के लक्षण के साथ बढ़ती है और शुरूआती अटैक के दौरान बिल्कुल सामान्य बुखार के रूप में नजर आती है.
वेबसाइट न्यूजक्लिक के मुताबिक फ़्रेंच कंपनी सनोफ़ी द्वारा ”डेंगवैक्सिया” वैक्सीन बनायी गयी थी. जिसे फ़िलिपीन्स में 10 लाख बच्चों को लगाया गया था. हालांकि, इससे कुछ बच्चों की स्थिति खराब होने लगी. दरअसल, यह वैक्सिन व्यक्तियों में एक तरह के सेरोटाइप के ख़िलाफ़ प्रतिरोध तो पैदा कर सकता है. लेकिन, दूसरे सेरोटाइप के संपर्क में आने से कई अन्य तरह की प्रतिक्रियाएं दिख सकती है.जो खतरनाक भी साबित हो सकता है. आपको बता दें कि वर्ष 2019 में भी नई वैक्सीन का दावा किया गया है. टैक-300 नाम की इस वैक्सिन को फ़्रेंच कंपनी द्वारा वैक्सिन को ध्यान में रख कर बनाया गया है जो सेरोटाइप-2 के ख़िलाफ़ प्रतिरोध पैदा करता है. हालांकि, इसके बारे अभी कुछ पाना संभव नहीं है कि यह कितने हद तक सही है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.