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Coronavirus: कोविड-19 रोधी टीके का दुबले, मोटे लोगों को पर असर थोड़ा कम, स्टडी का दावा

Coronavirus: नेरीज एम एस्टबरी और कारमेन पियरनस, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक शोध में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि कुछ टीकों का मोटापे से ग्रस्त लोगों पर कम ही असर पड़ता है और इन लोगों के लिए टीके अन्य लोगों की तुलना में उतने कारगर साबित नहीं होते.

coronavirus: कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से दुनिया भर में इसके कारण 60 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन, अच्छी बात यह है कि अब हमारे पास इस जानलेवा संक्रमण के इलाज की बेहतर व्यवस्था और प्रणाली के अलावा प्रभावी टीके भी मौजूद हैं, जिनसे गंभीर संक्रमण के खतरे को कम करने में काफी मदद मिली है. इसके बावजूद, कुछ लोगों के आज भी कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित होने और मौत होने की आशंका बनी हुई है.

कोविड-19 के कारण मृत्यु दर भी मोटापे से पीड़ित लोगों में अधिक

नेरीज एम एस्टबरी और कारमेन पियरनस, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक शोध में पाया गया है कि संक्रमित होने के बाद उन लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की आशंका काफी अधिक है, जो मोटापे से ग्रस्त हैं. कोविड-19 के कारण मृत्यु दर भी मोटापे से पीड़ित लोगों में अधिक हो सकती है. यह शोध कोविड-19 रोधी टीकों के उपलब्ध होने से पहले किया गया था. शोध में लोगों के वजन के आधार पर कोविड-19 रोधी टीकों के असर का अध्ययन किया गया है. शोध में पाया गया है कि दुबले-पतले लोगों के भी कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित होने का खतरा काफी अधिक है.

बीएमआई का उपयोग करके मोटापे को मापा जाता है

बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का उपयोग करके मोटापे को मापा जाता है. इसकी गणना किसी व्यक्ति के वजन (किलोग्राम में) को उसकी ऊंचाई (मीटर में) से विभाजित कर और फिर उसका वर्ग निकाल कर की जाती है. गौरतलब है कि 18.5 से कम बीएमआई वाले व्यक्ति को कम वजन वाला माना जाता है, 18.5-25 के बीच बीएमआई वाले को स्वस्थ और ठीक वजन वाला माना जाता है, 25 से ऊपर बीएमआई वाले को अधिक वजन का माना जाता है और जिस व्यक्ति का बीएमआई 30 से ऊपर होता है उसे मोटापे से ग्रस्त माना जाता है.

कोविड-19 टीकाकरण अभियान की नीतियां बनाने में किया गया गया था इस शोध का इस्तेमाल

इस शोध का इस्तेमाल लोगों के लिए कोविड-19 टीकाकरण अभियान की नीतियां बनाने में किया गया. शोध में ऐसे लोगों को भी शामिल किया गया था, जिनका बीएमआई 40 या उससे अधिक था. कोविड-19 महामारी से पहले किए गए अन्य शोधों से पता चला है कि मोटापे से ग्रस्त लोग आम तौर पर मौसमी बुखार के टीके कम ही लगवाते हैं.

टीकों का मोटापे से ग्रस्त लोगों पर असर कम

शोध में इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि कुछ टीकों का मोटापे से ग्रस्त लोगों पर कम ही असर पड़ता है और इन लोगों के लिए टीके अन्य लोगों की तुलना में उतने कारगर साबित नहीं होते. ‘द लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रायनोलॉजी’ में प्रकाशित हमारे नए अध्ययन में इंग्लैंड में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 90 लाख से अधिक लोगों की स्वास्थ्य संबंधी पृष्ठभूमि और रिकॉर्ड का उपयोग किया है.

कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती होने और मौत होने संबंधी तमाम आंकड़ों का गहनता से अध्ययन किया गया

अलग-अलग वजन वाले लोगों पर कोविड-19 रोधी टीके के असर की पड़ताल करने के लिए विभिन्न बीएमआई समूह के लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने और इसके कारण मौत होने संबंधी तमाम आंकड़ों का गहनता से अध्ययन किया गया. टीकाकरण कराने वाले विभिन्न बीएमआई समूह के समान उम्र और लिंग वाले लोगों की तुलना टीकाकरण नहीं कराने वाले लोगों से भी की गई. शोध में पाया कि कोविड-19 रोधी टीके सभी बीएमआई समूह वाले लोगों के लिए कारगर हैं, विशेष रूप से टीके की दूसरी और तीसरी खुराक लेने के बाद असर काफी बढ़ जाता है.

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कम वजन वाले लोगों में भी कोविड-19 रोधी टीके थोड़े कम प्रभावी

शोध बताता है कि कम वजन वाले लोगों में कोविड-19 रोधी टीके थोड़े कम प्रभावी हो सकते हैं. टीकाकरण कराने वाले कम वजन वाले लोगों के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना लगभग 50 प्रतिशत कम थी और टीकाकरण नहीं कराने वाले लोगों की तुलना में उनकी मौत की संभावना लगभग 40 प्रतिशत कम थी.

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