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गोड्डा के अडाणी पावर प्लांट से रोशन होगा बांग्लादेश, 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुरू

गोड्डा के अडाणी पावर प्लांट से बांग्लादेश रोशन होगा. शुक्रवार को इस प्लांट से 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन हुआ. इस प्लांट से कुल 1600 मेगावाट बिजली का उत्पादन होना है. इस पावार प्लांट से 25 प्रतिशत बिजली राज्य को मिलेगी.

Jharkhand News: गोड्डा के अडाणी पावर प्लांट (Adani Power Plant) से पहले चरण में 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन शुक्रवार से शुरू हो गया है. गोड्डा से 105 किमी ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से बिजली की आपूर्ति  शुरू हुई है. देश में बने अब तक के सबसे उत्कृष्ट थर्मल पावर में से एक अडाणी के 1600 मेगावाट के पहले चरण में 800 मेगावाट का उत्पादन कर बांग्लादेश को भेजे जाने का काम शुरू हुआ. इस पावर प्लांट से झारखंड सरकार को 25 प्रतिशत बिजली मिलेगी.

क्या है पावर उत्पादन का मामला

अडाणी पावर प्लांट का काम साल 2016 में भूमि अधिग्रहण के साथ शुरू हुआ. मोतिया और आसपास के कई गांव एवं मौजा की करीब 650 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया.  इसके बाद 2018 में कंपनी ने निर्माण कार्य शुरू हुआ. इसमें चाईना के एसटीजी कंपनी के सहयोग के साथ देश के सिप्लेक्श, बीएमआर, पीसीपी एडक जैसी करीब दर्जन भर कंपनियों ने निर्माण कार्य किया. कंपनी में जनरल इलेक्ट्रिकल कंपनी की ओर से मशीन आदि लगाने का काम किया. गंगा का पानी साहेबगंज से करीब 90 किमी की दूरी तय कर पाइप लाइन के माध्यम से गोड्डा  लाया गया. इस दौरान वर्ष 2020 एवं 2021 में कोविड की वजह से काम प्रभावित रहा.

कुल 1600 मेगावाट होगा बिजली का उत्पादन

बिजली उत्पादन का काम 2021 में शुरू होना था, लेकिन एक साल अधिक का समय पावर उत्पादन में लग गया. दो यूनिट वाले अडाणी पावर प्लांट के पहले फेज में 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन का ट्रायल दिसंबर में हो जाने के बाद बांग्लादेश को तय तिथि 16 दिसंबर को पावर ट्रांसमिट किया गया. दूसरे यूनिट के अप्रैल तक चालू होने की बात बतायी जा रही है. तब कंपनी की ओर से कुल 1600 मेगावाट का उत्पादन शुरू हो जायेगा.

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कई बेहतर तकनीक का लिया सहारा

गोड्डा से करीब 105 किमी की दूरी तय कर बांग्लादेश बिजली पहुंचाया गया. दस हजार से अधिक मजदूरों ने लगातार ढाई साल तक मेहनत कर इस पावर प्लांट को खड़ा किया. इस प्लांट ने नवीन तकनीक का प्रयोग कर इस प्लांट को खड़ा किया है. देश भर में लगे अब तक के लेटेस्ट चिमनी जिसकी ऊंचायी 275 मीटर बतायी जाती है, यहां बनाया गया है. वहीं, पावर उत्पादन के साथ पर्यावरण की रक्षा के लिए इको फेंडली एफडीजी एवं एससीआर केमिकल रिएक्शन का इस्तेमाल का यंत्र लगाया गया है. साथ ही एससीआर नामक तकनीक के माध्यम से गैसीय प्रदूषण को रोकने का काम किया गया है. साथ ही इएसपी यानी इलेक्ट्रो स्टेटिक प्रेसीप्रेटर सिस्टम का उपयोग किया गया है. इससे सूक्ष्म से सूक्ष्म कार्बन के उत्सर्जन को परिमार्जित कर प्रदूषण क्षमता को कम करता है. वातावरण को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है. इस यंत्र और मशीन के इस्टॉलेशन में कंपनी को करीब 2200 करोड़ अतिरिक्त राशि खर्च करना पड़ा है. वहीं, अडाणी संयंत्र में उच्च तापीय एवं क्वालिटी के बिटुमिन कोयले का प्रयोग किया जा रहा है. यह कोयला अत्यधिक गुणवत्तापूर्ण बताया जा रहा है.

रिपोर्ट : निरभ किशोर, गोड्डा.

Samir Ranjan
Samir Ranjan
Senior Journalist with more than 20 years of reporting and desk work experience in print, tv and digital media

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