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Tripti Dimri :मीना कुमारी की बायोपिक मिलना खुशकिस्मती होगी 

अभिनेत्री तृप्ति डिमरी ने इस इंटरव्यू में अपनी फिल्म धड़क 2 के अलावा अपने ड्रीम रोल पर भी बात की है.

tripti dimri :अभिनेत्री तृप्ति डिमरी की लेटेस्ट रिलीज धड़क 2 इनदिनों सिनेमाघरों में प्रदर्शन कर रही है. वह इस बात को स्वीकारती हैं कि निजी जिंदगी में वह अपने किरदार की तरह उतनी स्ट्रांग नहीं है, लेकिन हां इस फिल्म को करने के बाद वह खुद में बदलाव पाती हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत 

धड़क, सैराट और परियेरुम पेरुमल बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट रही थी क्या धड़क 2 से जुड़ने के साथ प्रेशर महसूस किया था ?

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितना प्रेशर लेते हैं. सच कहूं तो मैं कोई प्रेशर नहीं लेती हूं .इससे अभिनय का आनंद खत्म हो जाता है. अगर आप सेट पर दबाव लेकर जाते हैं, तो आप किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे. पहले दिन से ही आपको निर्देशक पर भरोसा रखना होता है. फिल्म चाहे हिट हो या फ्लॉप, हमें उसे करने में मजा आना चाहिए. जब आप घर वापस जाते हैं और खुश और संतुष्ट महसूस करते हैं कि आपने अपना सर्वश्रेष्ठ दृश्य दिया है, तो वह एहसास बहुत अलग होता है.

आप फिल्म में अपने किरदार से कितना जुड़ाव महसूस करती हैं ? 

जब मैं इस फिल्म से जुड़ी थी, मैंने  निर्देशक शाज़िया से कहा कि मैं इस किरदार जैसी बिल्कुल नहीं हूं.मैं इतनी शांत स्वभाव हूं कि किसी भी चीज़ में शामिल नहीं होती हूं ,लेकिन इस किरदार को निभाने के बाद, मुझे सही के लिए खड़े होने का साहस मिला है. मुझे लगता है कि हर किसी को ऐसा करना चाहिए. हम फिल्म के माध्यम से खुद को शिक्षित कर सकते हैं. यह एक महत्वपूर्ण विषय है. मुझे लगता है कि अगर फिल्म लोगों की सोच बदलती है तो यह एक बड़ा कदम होगा. मुझे नहीं लगता कि हम इस गलत काम में विश्वास करते हैं, लेकिन कुछ लोगों की ऐसी मानसिकता है. अगर वे फिल्म देखें और इसका उन पर असर हो कि दूसरों को उस तरह से जज न करें. इंसानों के साथ इंसान जैसा व्यवहार करें, तो बहुत सारी समस्याएं हल हो जाएंगी . मुझे लगता है कि इस फिल्म को बनाने का  हमारा लक्ष्य पूरा हो जाएगा.

फिल्म में आपका किरदार स्ट्रॉग  है.निजी जिंदगी में आप प्यार के लिए सभी के खिलाफ जा सकती हैं ?

बात खिलाफ जाने की नहीं है, आपको सही के लिए लड़ना चाहिए. अगर आपको लगता है कि सामने वाले ने कुछ ग़लत नहीं किया है, तो आपको उसके लिए खड़ा होना चाहिए. किसी ने मुझसे पूछा कि आपको कब लगा कि आप किसी चीज़ के लिए मरने तक को तैयार हैं. मुझे यह तब महसूस हुआ था .जब मैं एक अभिनेत्री बनना चाहती थी, मेरा परिवार मेरे फ़िल्मों में आने के खिलाफ था. उनके अपने कारण थे. वे डरे हुए थे. मैं उत्तराखंड से मुंबई जैसे नए शहर में आयी ,जहां मैं किसी को नहीं जानती थी. फिल्म इंडस्ट्री से हमारा कोई लेना देना नहीं था, लेकिन उस पल मुझे लगा कि मैं कुछ भी ग़लत नहीं कर रही हूं. मैं सही काम कर रही हूं. सही तरीके से कर रही हूं. मैंने उनसे कहा कि अगर आपको चिंता है तो मेरे साथ आकर रहो और देखो मैं क्या कर रही हूं. मैं किनसे मिल रही हूं. किस तरह का काम कर रही हूं. उस पल आपको बस उस साहस की जरूरत होती है कि आप कहीं भी लड़खड़ाए नहीं.मैंने तब वह साहस दिखाया था.

यह एक लव स्टोरी फिल्म है उत्तराखंड से मुंबई तक आपकी प्यार की परिभाषा कितनी बदली है?

यह हर इंसान के लिए बदलता है. स्कूल में जब आप प्यार में पड़ते हैं, तो आपको लगता है कि यह सच्चा प्यार है. जब आप बड़े होते हैं, तो आपको एहसास होता है कि यह सिर्फ़ एक इंसान के अच्छे दिखने या आपको अच्छा महसूस कराने तक सीमित नहीं है. बल्कि आप देखते हैं कि वह इंसान ज़िंदगी के दबावों को कैसे झेलता है. वह किस तरह का इंसान है, यही मायने रखता है. आप ऐसे इंसान के साथ नहीं रह सकते जो हर समय बहुत अस्थिर रहता हो.

सेंसर बोर्ड ने फिल्म में  कई कट दिए हैं?

हमारे पास एक बेहतरीन सेंसर बोर्ड है। मुझे लगता है कि वे बहुत सहयोगी रहे हैं। उन्हें कुछ चीज़ें पसंद नहीं आईं थी. हमने उन मुद्दों को सावधानी से सुलझाने की कोशिश की है.

क्या आपने उत्तराखंड में ऐसे मामले देखे या सुने हैं?

शुक्र है कि मैंने ऐसा नहीं देखा. मैंने तो कभी सुना भी नहीं था. मैंने अखबारों में पढ़ा है और यह निराशाजनक है. मैं बताना चाहूंगी कि यह गांवों नहीं शहरों में ज्यादा होता है. आज भी बड़े शहरों में ऐसा हो रहा है और पढ़े-लिखे लोग ऐसा कर रहे हैं.

क्या आपको किसी ख़ास सीन में डर लगा?

बहुत सारे सीन. ऐसे कई इंटेंस सीन हैं ,जहां मैं लोगों से बहुत सवाल करती हूं . उस सीन को करते हुए मैं सोच रही थी कि क्या सच में ऐसा होता है. अगर होता भी है तो क्या ये इस स्तर तक जाता है. इस पर यकीन करना और फिर पूरे विश्वास के साथ रोल करना, यही सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा था।

आप आलोचनाओं को कैसे लेती हैं?

हर किसी की अपनी राय होती है. कुछ चीजें आपके लिए कारगर होती हैं और कुछ चीज़ें आपके लिए कारगर नहीं होतीं. जब लोग आपकी फ़िल्म के बारे में बात करते हैं, तो आपको पता चलता है कि आपके लिए क्या कारगर है. मैं किसमें सुधार कर सकती हूँ और यह आपको दर्शकों की प्रतिक्रियाओं से पता चलता है। वरना आप एक बुलबुले में ही रह जाएंगे.

निजी जिंदगी में आप स्ट्रेस से कैसे खुद को दूर करती हैं?

अगर मैं शूटिंग कर रही होती हूँ, तो मैं थोड़े समय के लिए महाराष्ट्र और उसके आसपास घूमने जाती हूं. अगर ब्रेक पर हूं तो उत्तराखंड चली जाती हूं. पहाड़ों में ट्रैकिंग करना मुझे पसंद है.

क्या आप किसी ख़ास ड्रीम रोल की तलाश में हैं?

मैं किसी एक्ट्रेस की बायोपिक करना चाहती हूँ. वह मीना कुमारी पर हो,तो क्या कहने. मुझे नहीं लगता कि मैं उनकी तरह  बहुत अच्छी अभिनेत्री हूँ, लेकिन मैं इसके लिए कड़ी मेहनत करूँगी. अगर मुझे कभी वह रोल मिल जाए तो मेरी खुशकिस्मत रहेगी.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 14 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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