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‘तांडव’ विवाद पर बोले सुशांत सिंह,’ लोगों की भावनाएं कुछ ज़्यादा आहत होने लगी हैं…’

sushant singh on taandav controversy says Peoples feelings start hurting too much bud : ज़ी फाइव की हालिया रिलीज हुए वेब सीरीज 'जीत की जिद' में अभिनेता सुशांत सिंह कर्नल रंजीत सिंह के किरदार में सराहे जा रहे हैं. सुशांत सिंह टीवी,फिल्मों और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स तीनों माध्यमों का हिस्सा रहे हैं. सत्या फ़िल्म से अपनी जर्नी शुरू करने वाले सुशांत कहते हैं कि फिल्मों में अच्छा रोल बहुत मुश्किल से मिलता है.

ज़ी फाइव की हालिया रिलीज हुए वेब सीरीज ‘जीत की जिद’ में अभिनेता सुशांत सिंह कर्नल रंजीत सिंह के किरदार में सराहे जा रहे हैं. सुशांत सिंह टीवी,फिल्मों और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स तीनों माध्यमों का हिस्सा रहे हैं. सत्या फ़िल्म से अपनी जर्नी शुरू करने वाले सुशांत कहते हैं कि फिल्मों में अच्छा रोल बहुत मुश्किल से मिलता है. उसके बाद डेली सोप बचता था लेकिन एक एक्टर के तौर पर उसमें आपको करने के लिए कुछ नहीं होता है.

ओटीटी जब से आया है टैलेंटेड लोगों ने काम करना शुरू किया और बता दिया कि हम किसी से कम नहीं है. मौके और बजट दीजिए हम वर्ल्ड लेवल पर अच्छा कर सकते हैं. सबसे अच्छी बात है कि किसी के नाम से या किसी के चेहरे से सीरीज नहीं बिकती है. कंटेन्ट,परफॉर्मेंस और टैलेंट पर सीरीज चलती है. हम जैसे एक्टर्स के लिए बहुत अच्छा समय है.

थिएटर्स की फिल्मों के लिए स्टारडम, सुपरस्टार होते रहे हैं और आगे भी रहेंगे लेकिन अब सुपरस्टार्स के नाम पर फिल्मे नहीं चलेगी. कहानी चाहिए परफॉरमेंस चाहिए. ओटीटी ने दर्शकों के टेस्ट को रिफाइंड कर दिया है इसलिए अब आप सुपरस्टार्स के नाम पर कुछ भी नहीं दिखा सकते हैं.

तांडव सीरीज पर मचे बवाल पर सुशांत सिंह कहते हैं कि कुछ ज़्यादा ही नुख्ताचीनी की जा रही है. लोगों की भावनाएं कुछ ज़्यादा ही आहत होने लगती है. जस्टिफाय हो तो फिर भी ठीक है. मैं इस बात को मानता हूं कि किसी की भी भावनाएं आहत नहीं होनी चाहिए.आहत हो रही है तो कोर्ट में जाइए वो सही तरीका है लेकिन हर बात पर बिफर जाना सही नहीं है.अभी माइंडसेट ही कुछ ऐसा हो गया है.

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उन्‍होंने आगे कहा,’ हम घर में भी लड़ते हैं और सामने वाला बंदा किसी दूसरी बात पर हंस रहा है तो हमें लगता है कि हम पर ही हंस रहा है. अभी पूरे देश में यही माइंडसेट चल रहा है. खैर उसका क्या कर सकते हैं लेकिन क्रिएटिविटी जो है. वो कमाल की चीज़ होती है.आप कितनी भी पाबंदी या कहे सेंसरशिप लगा लें.वो अपने लिए रास्ता बना ही लेती है. आप ईरानी सिनेमा देख लीजिए.वहां हद से ज़्यादा पाबंदियां हैं आप मजहब,पॉलिटिक्स,सरकार के खिलाफ नहीं बोल सकते हैं लेकिन वे कमाल का काम कर रहे हैं तो हम कंटेंट तो ले ही आएंगे चाहे आप कितनी पाबंदियां लगा दो क्योंकि ज़िन्दगी में कंटेंट बहुत है.

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