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नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी में एक अनोखा सेन्स ऑफ़ ह्युमर है, जिसे अभी तक एक्सप्लोर नहीं किया गया है – कुशान नंदी

निर्देशक कुशान नंदी ने कहा कि मुझे लगता है कि नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी के पास एक अनोखा सेंस ऑफ ह्यूमर है. बहुत ही स्ट्रेट फेस से सेंस ऑफ ह्यूमर वाली बात कह जाते हैं. जो बहुत ही दुर्लभ है. मुझे लगता है कि अभिनय के उस हिस्से को अब तक एक्सप्लोर नहीं किया गया है.

बाबूमोशाय बंदूकबाज के बाद निर्देशक कुशान नंदी एक बार फिर अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को अपनी फिल्म जोगीरा सारा रारा में निर्देशित कर रहे हैं. उनकी यह फिल्म जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है. कुशान उत्साहित हैं कि पर्दे पर वह नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी को एक अलग अंदाज में दिखाने जा रहे हैं, जो नवाज की पिछली फिल्मों से बिल्कुल अलग है. वह उसे रिवर्स कास्टिंग करार देते हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

जोगीरा सारा रा रा की कहानी की क्या खास बात आप पाते हैं ?

अरेंज मैरिज करवाने वाले शख्स को जब शादी तोड़ने का टास्क दिया जाता है और जब वह ऐसा करता है तो उसके लिए चीजें कैसे गलत होने लगती हैं. फिल्म की कहानी का सार यही है. यही फिल्म की कहानी की शुरूआती लाइनें भी थी. ग़ालिब असद भोपाली, जो इस फिल्म के लेखक हैं, मेरे बहुत करीबी दोस्तों में से एक हैं, वे इस विचार के साथ आए, फिर कहानी लिखने लगे. हमने इसे नवाज़ को पिच किया, उन्हें यह पसंद आया और फिर हमने इस पर काम शुरू किया.

यह एक कॉमेडी फिल्म है, नवाज को ज्यादातर उनके इंटेंस किरदारों के लिए जाना जाता है?

मुझे लगता है कि उनके पास एक अनोखा सेंस ऑफ ह्यूमर है. बहुत ही स्ट्रेट फेस से सेंस ऑफ ह्यूमर वाली बात कह जाते हैं. जो बहुत ही दुर्लभ है. बाबूमोशाय बंदूकबाज के दौरान मैंने यह बात महसूस की थी. मुझे लगता है कि अभिनय के उस हिस्से को अब तक एक्सप्लोर नहीं किया गया है. मुझे लगता है कि उनके भीतर कुछ ऐसी नासमझी, पागलपन और मजेदार चीजें हैं, जिसे सभी को देखना चाहिए.

यह फिल्म पहले 12 मई को रिलीज होने वाली थी, क्या वजह थी जो फिल्म की रिलीज दो हफ्ते बाद 26 मई को कर दी गयी?

12 मई को टिकट खिड़की पर तीन फ़िल्में रिलीज हुई थी.19 मई को भी कई फ़िल्में रिलीज हो रही थी. कई फिल्मों की रिलीज के बीच में प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन टीम ने ये फैसला किया कि ये फिल्म वे 26 मई को रिलीज करेंगे. मुझे भी यह फैसला सही लगा आखिरकार यह फिल्म के भले के लिए है. एक फिल्म को बनने में कई सौ लोगों की मेहनत लगती है. सभी ये चाहते हैं कि उनकी फिल्म ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचें.

इन-दिनों थिएटर में फ़िल्में नहीं चल रही हैं, आप क्या वजह मानते हैं?

हर पांच साल या 10 साल में मैं सुनता हूं कि सिनेमा अब मरने वाला है. लोग थिएटर में जाकर नहीं देखेंगे. लेकिन सच्चाई यह है कि हमारे देश में सिनेमा को छोड़ मनोरंजन के लिए दूसरी चीजें नहीं हैं. एक परिवार अगर एक साथ समय बिताना चाहते हैं,तो सिनेमा देखने जाते हैं क्योंकि वे बाहर जाकर खाना भी खाएंगे. घर पर बैठकर साथ में ओटीटी पर देखते हैं. वे ऐसा कभी नहीं कहेंगे. भारतीय परिवार बाहर जाना चाहता है और अपनी एकजुटता का जश्न मनाना चाहते हैं, इसलिए मुझे लगता है कि ऐसा कभी नहीं होगा कि सिनेमा खत्म हो जाएगा.दर्शकों की दूरी की वजह है कि वह इंटरटेनिंग फ़िल्में देखना चाहते हैं और पिछले कुछ समय से वैसी फ़िल्में बन नहीं पा रही हैं.

बाबूमोशाय बंदूकबाज की शूटिंग के दौरान आपका अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह के साथ अनबन की खबरें आम थी, इस फिल्म की मेकिंग के दौरान कितना आपने उस अनुभव को याद रखते हुए अभिनेत्री को चुना?

ऐसी कोई बात नहीं है. मैंने बाबूमोशाय बंदूकबाज के बाद मैंने दो अभिनेत्रियों के साथ काम किया है. एक जोगीरा शारा रा नेहा शर्मा के साथ और एक फिल्म कुन फाया कुन संजीदा शेख के साथ दोनों अभिनेत्रियों के साथ कोई परेशानी नहीं हुई. नेहा को हमने एक म्यूजिक वीडियो में देखा, जिसके बाद हमें लगा कि वे इस फिल्म के लिए परफेक्ट होगी. हमने उनसे फ़ोन पर बात की और इस फिल्म की शूटिंग के दौर मैंने पाया कि वह कमाल की अभिनेत्री हैं. उनके टैलेंट के साथ अब तक न्याय नहीं किया गया है.

फिल्म में मिथुन के बेटे मिमोह भी है, उनकी कास्टिंग किस तरह से हुई?

मिमोह ऑडिशन के लिए आया था. बात हुई मुझे लगा कि फिल्म में उसे एक अलग अंदाज में प्रस्तुत किया जा सकता है. उसका किरदार बिल्कुल अलग है, जो उसकी पर्सनालिटी से बिल्कुल मैच नहीं करता है.

बाबूमोशाय बंदूकबाज के बाद आपकी दूसरी फिल्म में इतना लंबा गैप क्यों हुआ ?

2 साल या लगभग ढाई साल कोविड में चले गए. मैंने बंदूकबाज़ के बाद 2 फिल्में कीं, तो बेशक मैं दो फिल्मों को लिख रहा था, दो फिल्मों के लिए पतैयारी कर रहा था. उनकी शूटिंग कर रहा था. मेरा मतलब है कि उसमें समय गया. मेरी फिल्मों से परे भी एक जिंदगी है. मैं अगले काम पर जाने से पहले थोड़ा समय लेना पसंद करता हूं.इन दोनों फिल्मों को बनाने में काफी समय लगा है. लेकिन हां, उम्मीद है कि अगले दो महीनों में आप दोनों को देखेंगे. 26 मई को जोगीरा सिनेमाघरों में रिलीज होगी कुन फाया कुन को जून के अंत में ओटीटी में स्ट्रीम किए जाने की प्लानिंग है.

क्या इस फिल्म को शूट करते हुए कोविड ने आपको प्रभावित किया ?

हां पेंडेमिक से हमारी फिल्म भी नहीं बच नहीं पायी है.2020 मार्च में फिल्म की शूटिंग के लिए गए और हमने दो दिनों की शूटिंग की और पहला लॉकडाउन हो गया. मुझे लगता है कि हमें शूट वापस आने में एक साल से अधिक का समय लगा. हमें उस हिस्से को फिर से शूट करना पड़ा, जिसे हमने पहले भी शूट किया था. शूटिंग की दिक्क़तों के साथ-साथ हम कोविड से प्रभावित भी हुए. शूट से जैसे ही हम लौटे हमारी टीम से 20 लोगों को कोविड हो गया था. इसमें मैं भी शामिल था और मैं अस्पताल में भर्ती था.

आपकी अब तक की जर्नी में सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम कौन रहा है? ?

जब मैं एक साल का था , तब मेरी मां और पिता (प्रीतीश नंदी) का तलाक हो गया था और मेरी मां ने अकेले ही मुझे पाला है. वह मेरी ताकत हैं. वह मेरी प्रेरणा रही हैं और मैं जहां हूं और जो भी हूं, उसका एकमात्र कारण वहीं हैं. अच्छा या बुरा, मैं जो कुछ भी हूं, उनकी बदौलत हूं. उन्होंने अपने जीवन में मेरे लिए बहुत सारे बलिदान दिए हैं.

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