फिल्म – वॉर 2
निर्माता -यशराज फिल्म्स
निर्देशक -अयान मुखर्जी
कलाकार -ऋतिक रोशन,जूनियर एनटीआर,कियारा आडवाणी,आशुतोष राणा,अनिल कपूर,वरुण बडोला और अन्य
प्लेटफॉर्म -सिनेमाघर
रेटिंग – डेढ़
war 2 movie review :यशराज बैनर की स्पाय यूनिवर्स की साल 2019 की सबसे कमाई करने वाली फिल्म वॉर की सीक्वल फिल्म वॉर 2 ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दीहै. इस बार फिल्म में ह्रितिक रोशन को साउथ सुपरस्टार जूनियर एनटीआर का साथ मिला है.यह बॉलीवुड में उनकी शुरुआत है. फिल्म का बजट 400 करोड़ के पार बताया जा रहा है. तकनीकी के मामले में यह भारत की पहली डॉल्बी सिनेमा में रिलीज होने वाली फिल्म है. फिल्म की शूटिंग कई देशों में हुई है,लेकिन यह सब मिलकर भी फिल्म को प्रभावी नहीं बना पाए हैं बल्कि नाम बड़े और दर्शन छोटे वाला मामला फिल्म बनकर रह गयी है.
वही पुरानी स्पाय यूनिवर्स वाली है कहानी
फिल्म की कहानी की बात करें तो पहली फिल्म की कहानी जहां खत्म हुई थी. दूसरी फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है.एक वक़्त रॉ का जांबाज वॉरियर कबीर ( ह्रितिक रोशन ) अब कॉन्ट्रैक्ट किलर बन चुका है. पैसों के लिए वह किसी की भी जान ले सकता है.जिससे रॉ ही नहीं बल्कि रॉ चीफ लूथरा (आशुतोष राणा )भी उसके खिलाफ है लेकिन फिर वही होता है. जो हिंदी फिल्मों की दर्जन भर से अधिक फिल्मों में हो चुका है.दरअसल देश के दुश्मनों के बहुत बड़े सिंडिकेट कली के खात्मे के लिए कबीर कॉन्ट्रैक्ट किलर बना हुआ है और इसमें रॉ चीफ भी उसका साथ दे रहे हैं. कली के लिए अपनी नकली वफादारी दिखाने के लिए कबीर को असल रिश्ते की कुर्बानी देनी पड़ती है. कबीर को रॉ चीफ लूथरा की जान लेनी पड़ती है. जिसके बाद रॉ कबीर के खात्मे के पीछे लग जाता है. जांबाज ऑफिसर विक्रम (जूनियर एनटीआर )को यह जिम्मेदारी दी जाती है. सिर्फ यही नहीं लूथरा की बेटी काव्या ( कियारा आडवाणी )भी कबीर से बदला लेने के लिए रॉ में शामिल हो गयी है. रॉ की दुश्मनी के बीच कबीर को कली सिंडिकेट के नापाक इरादों का पता लगाते हुए देश को सुरक्षित भी रखना है. रॉ का असली दोस्त कौन है और उसका दुश्मन कौन है. आगे की कहानी यही है.
फिल्म की खूबियां और खामियां
यशराज बैनर की फिल्म टाइगर ज़िंदा है.पहली स्पाय फिल्म थी लेकिन स्पाय यूनिवर्स की यशराज में शुरुआत वॉर फिल्म से हुई थी.जिसका आगे का हिस्सा पठान और टाइगर सीरीज की फिल्में बनी। स्टार पावर, जबरदस्त स्टाइलिश एक्शन और रोमांच इन फिल्मों की परिभाषा थी लेकिन अब लग रहा है कि मेकर्स सिर्फ इस यूनिवर्स को भुनाने में जुटे हुए हैं. वॉर 2 की कहानी से इस बार आदित्य चोपड़ा का नाम जुड़ा हुआ है लेकिन कहानी वही पुरानी है. थोड़ा बलिदान ,थोड़ा धोखा और ढेर सारा तूफानी एक्शन वाला ही मामला यहां भी है। ट्विस्ट भी है ,लेकिन आपको पहले से मालूम होता है. इंटरवल से पहले वाला ट्विस्ट आपको चौंकाता नहीं है.इंटरवल के बाद स्पाय यूनिवर्स की यह कहानी ये दोस्ती वाले मोड में चली जाती है.रितिक और जूनियर एनटीआर का फेस ऑफ कई जगहों पर दिखाया गया है लेकिन स्क्रीन पर नजरें थम जाए जैसा कुछ नहीं बन पाया है। फिल्म का क्लाइमेक्स भी बेहद कमजोर रह गया है.इस फिल्म में भी गुरुत्वाकर्षण का मखौल बनाते हुए कई एक्शन सीक्वेंस है लेकिन वह आपके रोमांच को बढ़ाते नहीं है बल्कि देखे दिखाए से लगते हैं. मेकर्स को यह बात समझनी चाहिए कि लार्जर देन लाइफ फिल्में तभी दर्शकों को पसंद आती हैं अगर कहानी और किरदार दर्शकों से कनेक्ट हो लेकिन यहां वह बात मिसिंग है. फिल्म के संवाद भी निराश करते हैं. एडिटिंग पर भी काम करने की जरुरत थी. फिल्म के अच्छे पहलुओं पर ह्रितिक के अलावा फिल्म की सिनेमेटोग्राफी है. फिल्म पोस्टकार्ड का एहसास करवाती है लेकिन अलग -अलग देशों को फिल्म में दिखाने की होड़ मची हुई है. जिससे एक पल दिल्ली तो दूसरे पल जापान कहानी पहुँच गयी है.गीत संगीत के मामले में फिल्म औसत है.
ऋतिक फिल्म की एकमात्र यूएसपी
ऋतिक रोशन इस फिल्म की एकमात्र अच्छी बात है. उनका स्क्रीन प्रेजेंस ,एक्शन ,स्टाइल आपको बांधे रखता है. जूनियर एनटीआर भी अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं लेकिन कमजोर लेखन ने उनके किरदार में उन्हें कुछ खास करने नहीं दिया है.कियारा आडवाणी कम स्क्रीन टाइम के बावजूद अपनी छाप छोड़ती हैं. वरुण बडोला भी अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं। अनिल कपूर और आशुतोष राणा जैसे समर्थ कलाकारों के लिए करने को कुछ खास नहीं था.बाकी के किरदार ठीक ठाक हैं.

