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Movie Homebound:भयंकर बारिश में होमबाउंड की हुई है शूटिंग.. फिल्म के राइटर श्रीधर ने शेयर किये कई किस्से 

कांस फिल्म फेस्टिवल में स्टैंडिंग ओवेशन पाने वाली फिल्म होमबाउंड की मेकिंग को और जानते हैं करीब से 

movie homebound :हाल ही में संपन्न हुए 78वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में भारतीय फिल्म ‘होमबाउंड’ ने जमकर सुर्खियां बटोरी हैं. इसके निर्देशक नीरज घेवान हैं. जाह्नवी कपूर, विशाल जेठवा और ईशान खट्टर स्टारर इस फिल्म के डायलॉग राइटर और डायलेक्ट कोच श्रीधर दुबे ने फिल्म की मेकिंग से जुड़ी कई दिलचस्प बातें शेयर कीं.श्रीधर,नीरज के साथ उनकी फिल्म मसान से भी जुड़े थे.वह कहते हैं कि होमबाउंड से हमारी तिगड़ी यानी नीरज, मेरी और वरुण ग्रोवर की फिर से वापसी हुई है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत

फिल्म की कहानी और शूटिंग लोकेशन

नीरज अपनी फिल्मों से हमेशा कुछ मैसेज देना चाहते हैं.यह फिल्म बेरोजगारी के मुद्दे को उठाती है साथ ही आज के युवा और दोस्ती को भी दर्शाती है.बहुत दिनों बाद किसी फिल्म में दोस्ती की कहानी होगी. फिल्म के शूटिंग की बात करें तो 45 दिनों में शूटिंग पूरी हुई है. दो दिन मुंबई, आठ से दस दिन सूरत और बाकी की पूरी फिल्म मध्यप्रदेश करे सीहोर में शूट हुई है, कहानी उत्तर प्रदेश की है लेकिन हमें बहुत ही खाली -खाली लोकेशन चाहिए थे इसलिए उत्तर प्रदेश की जगह भोपाल के सीहोर का चुनाव हुआ. वैसे हमने मध्य प्रदेश को पूरा उत्तर प्रदेश में रंग दिया था.

बारिश की वजह से पैदल सेट तक जाते थे

हमारा शूटिंग शेड्यूल 40 दिन का था ,जो 45 दिनों तक चला गया था. दरअसल बारिश भयंकर वाली हो गयी थी.अगस्त सितम्बर में हमें लगा था कि क्या ही बारिश होगी,लेकिन हमने सीहोर के जिस जिस गांव को फाइनल किया था ,वो पूरा पानी से भर गया था लेकिन हम रुक नहीं सकते थे. हमने सीन को बारिश में ही शूट करने का फैसला किया. स्क्रिप्ट में भी बारिश को डाला लेकिन शूटिंग आसान नहीं थी, हमारी वैनिटी साढ़े चार किलोमीटर पहले ही रोक दी जाती थी. वहां से हम इ रिक्शा या लोकल भाषा में कहें तो टोटो से जाते थे,लेकिन पानी की वजह से वह भी हमें बीस मिनट पहले छोड़ देता था. आगे का रास्ता स्टारकास्ट से लेकर पूरे क्रू को पैदल चलकर जाना पड़ता था. धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म थी तो पानी निकालने के लिए पम्पिंग लगायी गयी. मिटटी डलवाई गयी लेकिन उससे कीचड़ और ज्यादा हो गया. ईटें बिछवाई गयी लेकिन गांव वाले रात में उसको भी निकाल ले जाते थे. हम पूरा पॉलीथिन वाला कपड़ा ऊपर से नीचे तक पहनकर वहां पहुँचते थे. जाह्नवी,ईशान और विशाल सभी इस परेशानी से जूझते थे,लेकिन उन्होंने शिकायत नहीं की बल्कि अपना बेस्ट दिया.

कान्स फिल्म फेस्टिवल से नीरज को लगाव

निर्देशक को कान्स फिल्म फेस्टिवल से बेहद लगाव है. उन्होंने कहा था कि मैं इंजीनियरिंग करके निकला था, तब ब्लॉग लिखता था. उन फिल्मों को जरूर देखते थे, जो कान्स में चयनित होती थी. उन फिल्मों से बहुत सीखा. होमबाउंड की शूटिंग के वक्त ही तय था कि यह 2025 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में जायेगी. फेस्टिवल में फिल्म को स्टैंडिंग ओवेशन भी मिला.जहां से आपको मोटिवेशन मिला है,वहां पर फिल्में लेकर जाने से उन्हें एक अलग ही ख़ुशी मिलती है.नीरज की पहली फिल्म मसान भी कान्स में गयी थी

करण जौहर के लिए भी सरप्राइजिंग था मार्टिन स्कोर्सेसे का जुड़ना

सभी जानते हैं कि करण जौहर छोटे बजट की नॉन कमर्शियल फिल्मों का निर्माण धरमाटिक के जरिये करते हैं, लेकिन करण फिल्म मेकर के तौर पर नीरज का बहुत सम्मान करते हैं. नीरज जब अपनी इस फिल्म को लेकर करण के पास पहुंचे, तो उन्होंने कहा कि धर्मा ही इसको प्रोड्यूस करेगा. जहां तक बात इंटरनेशनल फिल्म मेकर मार्टिन स्कोर्सेसे की है, तो उन्हें नीरज की फिल्म मसान बहुत पसंद आयी थी. उस वक़्त उन्होंने प्रॉमिस किया था कि तुम्हारी अगली फिल्म कोई भी आएगी. मैं तुम्हारे साथ हूं. नीरज को लगा था कि ये सब बातें हैं. लोग मोटिवेशन के लिए बस बोल देते है. उन्होंने होम बाउंड फिल्म जब उन्हें दिखाई तो उन्हें बहुत पसंद आयी और उन्होंने खुद याद दिलाया कि मैंने कहा था कि तुम्हारी अगली फिल्म से जुड़ूंगा. तुम्हे याद है ना. यह नीरज की उपलब्धि है. यह करण के लिए भी यह सरप्राइजिंग था.

नीरज घेवान की पसंद हैं जाह्नवी

सभी को लग सकता है कि धर्मा की फिल्म है, इसलिए जाह्नवी होगी ही, लेकिन यह नीरज घेवान का फैसला था. चार साल पहले नीरज एक फिल्म बनाने जा रहे थे, उसमें निर्माता की पसंद जाह्नवी थी. लेकिन नीरज खुश नहीं थे.उन्हें लगा कि इस संजीदा बायोपिक में जाह्नवी कैसे काम कर पाएगी लेकिन ऑडिशन से पहले 15 दिन उसने बहुत मेहनत की थी. जाह्नवी का एक्टिंग और डायलेक्ट कोच मैं था. भले वह फिल्म नहीं आयी, लेकिन जाह्नवी को लेकर नीरज की सोच बदल गयी. इसलिए नीरज चाहते थे कि जाह्नवी इस फिल्म का हिस्सा बने.

चार महीने कास्टिंग चली थी

जाह्नवी मिल गयी थी लेकिन बाकी की कास्टिंग में चार महीने का समय गया. नीरज घेवान परफेक्शनिस्ट आदमी है, जब तक उनको अपनी कास्ट नहीं मिलती है. वह आदमी आगे नहीं बढ़ता है.कास्टिंग में चार महीने गए.बहुत लोगों का ऑडिशन किया गया था,चार चार घंटे ऑडिशन लेते थे , ऐसा लगता था जैसे वर्कशॉप चल रहा है. मैं नाम नहीं ले सकता हूं (हँसते हुए )लेकिन बहुत से एक्टर्स ने चार -चार घंटे ऑडिशन देने के बाद कहा कि बहुत प्यारी फिल्म है,लेकिन हम फिट नहीं है,क्योंकि हम प्रेशर नहीं झेल पाएंगे. मैं नीरज को प्रेशर कुकर बोलकर चिढ़ाता था.

डायलेक्ट के लिए ढाई महीने वर्कशॉप चला

नीरज परफेक्शनिस्ट है. वह इस बात को लेकर शुरू से क्लियर थे कि ईशान और जाह्नवी मुंबई से हैं तो अवधी भाषा बोलते हुए लफ्फाजी नहीं लगे कि बस बोलने के लिए बोल रहे हैं. उनकी आडियलॉजी में यह डालना था. ऐसा फिल्मों में नहीं बल्कि थिएटर में होता है. ढाई से तीन महीने डायलेक्ट पर काम चला. नीरज हर दिन मुझे नया टास्क देते थे.कल क्या तीनों कलाकारों को पढ़ने वाला हूँ और कितने घंटे पढ़ाऊंगा. सिर्फ यही नहीं 15 दिन उन्नाव,सीतापुर, बाराबंकी में जाकर रहे ताकि अवधि को और सही ढंग से संवाद में ला पाएं . स्क्रिप्ट पढ़ना. याद करना फिर रिहर्स करना. यह वहां पर हर दिन करते थे.यह वर्कशॉप उनके लिए एक थेरेपी की तरह था. फिल्म देखकर आप जानेंगे कि इसे उन्होंने कितनी खूबसूरती से निभाया है.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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