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बचपन के अपने स्कूल पहुंचे मनोज बाजपेयी,बच्चों से भोजपुरी में पूछे कई सवाल, दिखा भोजपुरिया अंदाज

सिने स्टार मनोज वाजपेयी ने बच्चों से संवाद स्थापित किया और उनको कहानी बनानी सिखायी और उनसे कहानी भी सुनी. इसके साथ ही उन्होंने बच्चों के साथ भोजपुरी में बात भी किया

बिहार के बेतिया में सिने स्टार मनोज वाजपेयी गुरुवार को अपने गांव के विद्यालय के बच्चों से रूबरू हुए. उन्होंने बच्चों को कई रोचक व प्रेरक कहानियां सुनायीं और उनसे गणित के कई सवाल भी पूछे. सिने स्टार बच्चों से भोजपुरी में बात कर सभी का दिल जीत लिया. दरअसल,      उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेलवा बाजार गौनाहा में आयोजित इस बतकही कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बच्चों का पूरा भविष्य उनके बचपन की शिक्षा पर निर्भर करता है. नई शिक्षा नीति 2020 की अनुशंसाओं के अनुरूप छोटे बच्चों में कल्पना शक्ति को बढ़ावा देना बहुत आवश्यक है.

ताकि बच्चों को अपने परिवेश की जानकारी हो. वह किताबों में पढ़ी गई बातों को अपने दैनिक जीवन के कार्यों से जोड़कर देख सकें. बच्चों से संवाद स्थापित करने के क्रम में मनोज वाजपेयी ने कई बच्चों को कहानी बनानी सिखायी और उनसे कहानी सुनी. इससे छोटे बच्चों में तार्किकता और बड़े बच्चों में किसी भी बात को समग्रता से समझाने की शक्ति का विकास होगा. बताया गया कि यह वही विद्यालय है जहा से पद्मश्री वाजपेयी ने अपनी बुनियादी शिक्षा ग्रहण की थी. भोजपुरी में उन्होंने सीधा-सुंदर संवाद दिया कि जब छोटे-छोटे बच्चों से उनकी भाषा में बात की जाए, तो वह ज्यादा अच्छे से सीख और समझ पाते हैं.

उन्होंने कई बच्चों से कहानी सुनी कुछ गणितीय संक्रियाएं करवाई. अपने हाथों से कलम और कॉपियां बांटी. सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन के राज्य लीड कमलनाथ झा ने बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान को सुदृढ़ करने के लिए विद्यालय में अकादमिक अनुश्रवण एवं स्टूडेंट ट्रैक्टर चार्ट को सभी विद्यालयों में सुनिश्चित करने की सलाह दी. इस दौरान विद्यालय परिसर में पौधारोपण किया. मौके पर डीपीओ मनीष कुमार सिंह, नीतीश, श्वेता और मृदुला कुमारी, स्कूल के एचएम समेत शिक्षक उपस्थित थे.

विद्यालय के शिक्षक और शिक्षिकाओं से मनोज वाजपेयी ने मिशन निपुण बिहार को अपने विद्यालय में सशक्त करने को आग्रह किया. कहा कि सभी बच्चों को वर्ग सापेक्ष दक्षताएं जल्द से जल्द प्राप्त करवाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए. शिक्षाविद ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी ने बच्चों की जिज्ञासाओं पर जोर डालते हुए कहा कि बच्चों को जिज्ञासु बनाने का दायित्व हम शिक्षकों का है. बच्चे जिज्ञासु होंगे, तो वह जानकारी को एकत्रित करके उसे अपने जीवन से जोड़ सकेंगे.

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