मुम्बई : अभिनेत्री कल्कि कोचलिन महसूस करती है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि नारीवाद को लेकर ढेरों नकारत्मक फीडबैक है तथा कई लोगों को इसके असली मतलब का अहसास नहीं है.अभिनेत्री का कहना है कि अक्सर लोग नारीवाद को ‘निंदा करने वाली महिलाओं’ के साथ जोड देते हैं जो पुरुषों से नफरत करती हैं.
कल्कि ने कहा, इस शब्द के बारे में गलतफहमी और जागरुकता का अभाव है. ऐसा जान पडता है कि नारीवाद को निंदा करने वाली महिलाओं के समूह या उन महिलाओं से जोड दिया जाता है जो पुरुषों के विरुद्ध हैं. नारीवाद महिला-पुरुष समानता को लेकर है. ढेरों लोग नारीवादी है लेकिन उन्हें इसका तनिक भी अहसास नहीं है.
फिल्मोद्योग में भी लोग नारीवाद पर बंट गए हैं और वे अक्सर कहते हैं कि वे महिला-पुरुष समानता के पक्ष में हैं लेकिन नारीवादी नहीं हैं. तैंतीस वर्षीय कल्कि ने कहा, ‘‘यह एक तथ्य है कि मैं सोचती हूं कि कुछ लोग नहीं समझ पाते कि इसका तात्पर्य क्या है. नारीवाद शब्द के साथ ढेरों नकारात्मक फीडबैक जुड गया है. मैं सोचती हूं कि अब इस शब्द को फिर सामान्य बनाने की जरुरत है. उनका कहना है कि सिनेमा में लैंगिक समानता लाना किसी सामाजिक आंदोलन से कम नहीं है जहां महिलाओं के लिए तेजतर्रार भूमिका हों.
