बॉलीवुड अभिनेता फ़ारुख़ शेख की पहचान एक ऐसे अभिनेता के तौर पर होती है जिन्होंने लीक से हटकर कई फिल्मों में काम किया और दर्शकों के दिलों में राज किया. वे फिल्मों की गिनती पर नहीं फिल्मों की गुणवत्ता पर ध्यान देते थे. वे एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने पर्दे पर किरदार को निभाया नहीं बल्कि उसे जीया. फिल्म के साथ-साथ वे रंगमंच से भी जुड़े रहे. जानें उनके बारे में 10 दिलचस्प बातें…
1. फ़ारुख़ का जन्म मुंबई के एक वकील मुस्तफ़ा शेख और फ़रिदा शेख के यहां 25 मार्च 1948 को हुआ था.
2. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के सेंट मेरी स्कूल से पूरी की. इसके बाद उन्होंने मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कालेज से आगे की पढ़ाई पूरी की.
3. पिता के नक्शे-कदम पर चलते हुए उन्होंने पेशे से वकालत को ही चुना लेकिन उनके सपने कुछ और ही थे. वकालत में वे अपनी कुछ खास पहचान नहीं बना पाये. इसके बाद उन्होंने अभिनय को बतौर करियर के तौर पर चुना.
4. वर्ष 1973 में उन्होंने फिल्म ‘गर्म हवा’ से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की. फिल्म में अभिनेता बलराज साहनी मुख्य भूमिका में थे लेकिन सहायक कलाकार के रुप में भी अपनी पहचान बनाने में वे कामयाब रहे.
5. इसके बाद फ़ारुख़ लगभग 6 साल तक संघर्ष करते रहे और फिर उन्होंने जानेमाने निर्देशक सत्यजीत रे की फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में काम किया लेकिन कुछ खास सफलता हासिल नहीं हुई.
6. इसके बाद उन्होंने वर्ष 1979 में निर्माता-निर्देश यश चोपड़ा की फिल्म ‘नूरी’ में काम किया. इस फिल्म ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया. फिल्म के गीत-संगीत के साथ-साथ दर्शकों ने फ़ारुख़ के अभिनय की भी खूब तारीफ की. फिल्म में अभिनेत्री पूनम ढिल्लो ने भी मुख्य भूमिका निभाई थी. फिल्म का गाना ‘आजा रे आजा रे ओ मेरे दिलबर…’ आज भी हिट है.
7. इसके बाद वर्ष 1981 में फिल्म ‘उमराव जान’ रिलीज हुई. फिल्म में उन्होंने नवाब सुल्तान का किरदार निभाया है. फिल्म सुपरहिट रही और एकबार फिर वे दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे. फिल्म में अभिनेत्री रेखा भी मुख्य भूमिका में थी. इस फिल्म का गाना ‘इन आंखों की मस्ती के…’ गाना आज भी दर्शकों के बीच लोकप्रिय है.
8. इसके बाद 1981 में फिल्म ‘चश्मेबद्दूर’ से वे एक हास्य कलाकार के रुप में उभरे. उन्होंने अपने हास्य अभिनय से दर्शकों को खबू हंसाया और उनकी सुपरहिट फिल्मों में एक और हिट फिल्म शामिल हो गई.
9. उन्होंने अपने सिने करियर में ‘बीबी हो तो ऐसी’, ‘कथा’, ‘जीना इसी का नाम है’, ‘रंग बिरंगी’, ‘लाखों की बात’, ‘किसी से न कहना’, ‘साथ-साथ’ और ‘बाजार’ जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया.
10. फिल्म ‘लाहौर’ में उनके सशक्त अभिनय के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया. चार दशक के लंबे करियर में उन्होंने लगभग 40 फिल्मों में काम किया. वर्ष 2013 में अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.