कलाकार : अक्षय कुमार, एमी जैक्सन, लारा दत्ता
निर्देशक : प्रभुदेवा
रेटिंग : 2.5 स्टार
।। अनुप्रिया अनंत ।।
अक्षय कुमार ने प्रभुदेवा के साथ फिल्म ‘राउडी राठौर’ में काम किया था. वह फिल्म कमर्शियल स्तर पर काफी हिट फिल्म रही और उस वक्त ऐसी फिल्मों को और सहारा मिल गया. लगातार ऐसी फिल्में बन रही हैं. अक्षय कुमार अपनी फिल्मों के चुनाव को लेकर स्पष्ट रहे हैं कि उन्हें साल में एक गंभीर फिल्म करनी है. उनकी शेष फिल्में कमर्शियल ही होंगी. अक्षय कुमार की फिल्में ‘बॉस’, ‘सिंह इज किंग’, ‘राउडी राठौर’, ‘एंटरटेनमेंट’ जैसी फिल्मों की श्रेणी में ही ‘सिंह इज ब्लिंग’ भी शामिल है. लेकिन इस बार अक्षय ने अपनी फिल्म में महिला किरदार को केवल गाने बजाने या नृत्य के लिए नहीं रखा है. यह बात अन्य फिल्मों से इस फिल्म को अलग करती है.
यह अक्षय कुमार की होम प्रोडक्शन की फिल्म है और अक्षय खुद मार्शल आर्टस के बहुत बड़े हितेशी हैं. शायद यही वजह है कि उन्होंने तय किया है कि वे अपनी फिल्म से यह दर्शाने की कोशिश करेंगे कि सिर्फ अभिनेताओं को ही स्टंट और एक्शन करने का हक नहीं है. इस फिल्म में एक बड़ी खासियत यही है कि इस फिल्म की नायिका गुंडों से अकेले लड़ती है. वह घुड़सवारी जानती है. लेकिन अन्य फिल्मों की तरह सिर्फ एक दृश्य में स्टंट करती नजर नहीं आतीं, बल्कि फिल्म के अंतिम दृश्यों तक में उसकी बहादुरी नजर आती है.
अक्षय ने कास्टिंग निर्देशक मुकेश छाबड़ा की मदद से एमी जैक्सन का सटीक चयन किया है. चूंकि फिल्म की कहानी एक पंजाब के गांव में रहने वाले देसी लड़के और एक विदेश में रहनेवाली विलायती लड़की के प्रेम की कहानी है. नायक अंगरेजी बोलना नहीं जानता और नायिका को हिंदी समझ नहीं आती. लेकिन इसके बावजूद दोनों में प्रेम पनपता है. फिल्म पहले पंजाब फिर गोवा और फिर रोमानिया की सैर कराती हुई पंजाब के गांव में खत्म होती है. सिंह (अक्षय) अपने गांव में सिर्फ शैतानियां करता है. उसे किसी काम में मन नहीं लगता. वह हर काम अधूरा छोड़ता है, इसलिए उसके पापाजी उससे नाराज रहते हैं.
वह अपनी मां के लाड़ प्यार में बिगड़ चुका है. इसलिए उसके पापाजी तय करते हैं कि वह उसे अपने दोस्त के पास गोवा भेजेंगे वरना व्याह रचा देंगे. इस डर से सिंह गोवा जाता है, जहां वह सारा से टकराता है. सारा को उनके पिता जो कि रोमानिया के बिजनेस मैन है. मार्क (केके मेनन) से बचाने के लिए गोवा भेजते हैं. सारा को भी गोवा से प्रेम इसलिए है, क्योंकि वह अपनी मां को तलाशने वहां आती है. इसी दौरान ऐसी कई गतिविधियां होती हैं, जिसमें हम सारा (एमी) का एक्शन देखते हैं. इस फिल्म में अक्षय ने अपने किरदार से ऊपर अपने हीरोइज्म का हावी नहीं होने दिया है.
वह बेवकूफ और भोले ही नजर आये हैं. उन्होंने एमी जैक्सन को बड़ा मौका दिया है और एमी ने उसे बखूबी निभाया भी है. फिल्म में सरदारों को लेकर बनाये गये जुमले व चुटकुलों को खुल कर दिखाया गया है. लारा फिल्म में ट्रांसलेटर की भूमिका में हैं. उन्होंने सीमित दृश्यों में दर्शकों का मनोरंजन करने की पूरी कोशिश की है और वे कामयाब भी रही हैं. फिल्म में गाने बेवजह ठूसे गये हैं. लेकिन ऐसी कमर्शियल फिल्म से ऐसी उम्मीदें ही रहती है.
प्रभुदेवा अपनी फिल्मों में बेवजह कई परिस्थितियां जोड़ते हैं. जिन पर हंसी नहीं आती. हालांकि इस फिल्म को एक्शन जैक्सन जैसी वाहियत फिल्मों की श्रेणी में नहीं रख सकते. लेकिन अगर कहानी पर और अधिक काम किया जाता. तो यह फिल्म और निखर कर लोगों के सामने आ सकती है. लेकिन निस्संदेह प्रभुदेवा की पिछली फिल्मों से यह फिल्म कई मायनों में स्तरीय है. अक्षय कुमार के फैन और पंजाबी दर्शकों को यह फिल्म यकीनन लुभायेगी.