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बिहार में टैक्‍स फ्री हुई नवाजुद्दीन अभिनित ”मांझी- द माउंटेन मैन”

पटना : बिहार राज्य मंत्रिपरिषद् ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी अभिनित फिल्म मांझी- द माउंटेन मैन को टैक्स फ्री किये जाने को आज मंजूरी प्रदान कर दी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज संपन्न राज्य मंत्रिपरिषद् की बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए बिहार राज्य मंत्रिमंडल सचिवालय समन्वय विभाग के प्रधान सचिव शिशिर सिन्हा […]

पटना : बिहार राज्य मंत्रिपरिषद् ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी अभिनित फिल्म मांझी- द माउंटेन मैन को टैक्स फ्री किये जाने को आज मंजूरी प्रदान कर दी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज संपन्न राज्य मंत्रिपरिषद् की बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए बिहार राज्य मंत्रिमंडल सचिवालय समन्वय विभाग के प्रधान सचिव शिशिर सिन्हा ने बताया कि अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी की हिन्दी फिल्म मांझी- द माउंटेन मैन को टैक्स फ्री किए जाने को मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी है. यह फिल्म बिहार के वास्तविक नायक दिवंगत दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित है जो गया जिला के अतरी प्रखंड अंतर्गत गेहलौर गांव के निवासी थे.

उन्‍होंने बताया कि दिवंगत मांझी की कहानी एक सरल व्यक्तित्व और मानवीय जीवन की प्रेरणादायी कहानी है जो यह बताती है कि यदि आदमी दृढ संकल्प कर ले तो बड़े से बड़े काम को साधनों की कमी के बावजूद अंजाम दे सकता है. माउंटेन मैन के नाम से चर्चित रहे दशरथ मांझी के जीवन पर आधारित फिल्म मांझी- द माउंटेन मैन के निर्देशक केतन मेहता हैं. फिल्म 17 जुलाई को रिलीज की गयी.

1934 में जन्मे भूमिहीन मांझी आर्थिक रुप से कमजोर महादलित मुसहर समुदाय से आते हैं और उनका गांव पहाड के बीच होने के कारण वह सड़क, बिजली, स्वास्थ्य सेवा सहित अन्य मूलभूत सेवाओं से वंचित थे और वहां के लोग अपने गांव के दूरस्थ होने पर स्वयं को कोसा करते थे.

गहलौर के गरीब भूमिहीन मजदूर मांझी पास के जमींदारों के खेतों में काम किया करते थे और वर्ष 1959 में बीमार पडी पत्नी को सड़क के अभाव में अस्पताल नहीं ले जाने पर बहुत दुखी हुए और अगले 22 वर्षों तक अपनी पत्नी की मौत के वियोग में छेनी और हथौडी की मदद से पहाड को काटकर रास्ता बनाने के लिए प्रयासरत रहे और अंतत: 360 फुट लंबा और 30 फुट चौडा रास्ता बनाने में सफल हो पाए.

पहाड को काटकर मांझी द्वारा बनाए गए उस रास्ते के कारण उनके गांव की दूरी पास के वजीरगंज प्रखंड से पूर्व के 55 किलोमीटर के बजाए घटकर 15 किलोमीटर हो गयी और गेहलौर गांव विश्व के खुला. मांझी की मृत्य वर्ष 2007 में हुई थी और उनका अंतिम संस्कार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजकीय सम्मान के साथ कराया था तथा उनके गांव तक तीन किलोमीटर पक्की सड़क बनाए जाने तथा उनके नाम पर एक अस्पताल का नाम रखे जाने का निर्देश दिया.

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