39.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

फिल्‍म रिव्‍यू: गोविंदा और रणवीर का ”किल दिल”

II अनुप्रिया अनंत II फिल्म : किल दिल कलाकार : गोविंदा , परिणीति चोपड़ा , अली, रणवीर सिंह निर्देशक : शाद अली रेटिंग : २ स्टार शाद अली ने इससे पहले बंटी और बबली और झूम बराबर झूम का निर्माण किया है. उनकी फिल्मों की कहानियों से उनकी शैली का पता चलता है. वे चोर […]

II अनुप्रिया अनंत II

फिल्म : किल दिल

कलाकार : गोविंदा , परिणीति चोपड़ा , अली, रणवीर सिंह

निर्देशक : शाद अली

रेटिंग : २ स्टार

शाद अली ने इससे पहले बंटी और बबली और झूम बराबर झूम का निर्माण किया है. उनकी फिल्मों की कहानियों से उनकी शैली का पता चलता है. वे चोर , चोरियों की कहानियां दिखाने में काफी दिलचस्पी रखते हैं. मगर कहानी में उन्हें कामयाबी मिल जाये यह जरूरी नहीं. चूँकि शैली आपकी जो भी हो अगर कहानी में नयापन नहीं होगा तो उसे दर्शक नहीं मिलेंगे. सबसे जयदा अफ़सोस किल डिल के साथ यह है कि फिल्म में सभी अच्छे कलाकार हैं.

गोविंदा की यह कमबैक फिल्म थी.लेकिन कहानी में चूँकि नयापन नहीं सो कलाकारों पर दोष नहीं मढ़ा जा सकता. पिछले कुछ सालों से यशराज की कोशिश हो रही कि वे शादी व्याह और नाच गाने से अलग कुछ कहानियां गढ़े. सो कला पत्थर के तर्ज पर उन्होंने गुंडे बनाने की कोशिश की और वह कामयाब भी रही. लेकिन यह जरुरी नहीं कि उनका फार्मूला हर बार काम करें. इस बार किल दिल में एक एक्स फैक्टर की उम्मीद थी , चूँकि सारे अच्छे कलाकार थे.

फिल्म के ट्रेलर ने प्रभावित किया था. फिल्म के कहानी २ लड़कों की है , जो कचरे के ढेर से उठाये गए है और जैसा की फिल्म का ही संवाद है.जन्म कही भी हो आदमी बनता वैसा ही है जहाँ पला बढ़ा हो. सो दोनों लड़के चोर बन जाते हैं. गोविंदा फिल्म में सबसे बड़े डॉन बने हैं. फिल्म में रणवीर और अली दोनों की ही वेशभूषा से चोर दिखाने की कोशिश तो की गई है. मगर अच्छे कलाकार होने के बावजूद रणवीर अपनी छाप इस फिल्म में छोड़ पाने में कामयाब नहीं हो पाये हैं.अली हमेशा की तरह इस फिल्म में भी ठंडा अभिनय करते नजर आये हैं. उनके अभिनय में एक उदासीनता नजर आती है.

मगर हिंदी सिनेमा में हर तरह के कलाकारों की खफत है.सो उन्हें अब भी बड़े मौके मिल रहे हैं.परिणीति को अपने अभिनय में भिन्नता लानी होनी. चूँकि उनकी खासियत उनकी रुकावट बन सकती है. वे भी एक सा किरदार निभाती नजर आने लगी हैं. फिल्म में फिल्म की कहानी को देखने से अधिक मजा फिल्म के गानों के फिल्मांकन में हैं.वह मजेदार है.फिल्म के कुछ संवाद आपको हँसाते हैं.

फिल्म से बहुत अधिक उम्मीद थी और उस उम्मीद पर फिल्म खरी नहीं उतरती. गोविंदा ने फिल्म में अधिक लाऊड होने की कोशिश की है. जो उनका ट्रेडमार्क रहा है. लेकिन शायद इस दौर के दर्शकों को ऐसी फिल्म पसंद आये. यशराज को फिल्म के वक़्त अलर्ट होने की जरूरत है की आखिर फिल्मों की कहानियां क्यों लुभाने में कामयाब नहीं हो पा रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें