नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गायिका अनुराधा पौडवाल की बेटी होने का दावा करने वाली महिला की याचिका पर तिरुवनंतपुरम की एक अदालत में शुरू हुई सुनवाई पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने मामले को तिरुवनंतपुरम से मुंबई स्थानांतरित करने की पौडवाल की याचिका पर 46 वर्षीय महिला को नोटिस जारी किया.
महिला ने तिरुवनंतपुरम की अदालत में याचिका दाखिल कर दावा किया था कि वह प्रसिद्ध गायिका की पुत्री है. उसने कथित तौर पर सही बचपन और जीवन नहीं मिलने के लिए अपने जन्म देने वाले माता-पिता से 50 करोड़ रुपये के मुआवजे की भी मांग की.
शहर निवासी करमाला मोडेक्स ने दावा किया था कि पौडवाल ने उसे 1974 में पोन्नाचन और आग्नेस नामक दंपती को सौंप दिया था जिन्होंने उसका पालन-पोषण किया. दावा किया गया है कि पौडवाल अपने काम में व्यस्त रहती थीं और उस समय संतान नहीं चाहती थीं, इसलिए उन्होंने ऐसा किया.
पद्मश्री और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित पौडवाल का विवाह संगीतकार अरुण पौडवाल से हुआ था. मोडेक्स के वकील ने कहा था कि उन्होंने मामला दर्ज कराने से पहले गायिका से संपर्क की कोशिश की थी लेकिन उन्हें कभी कोई जवाब नहीं मिला.
तिरुवनंतपुरम की जिला परिवार न्यायालय ने पौडवाल और उनके दोनों बच्चों से 27 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा था. मोडेक्स ने मांग की है कि उसे पौडवाल की कानूनन पुत्री घोषित किया जाए.
उसने दावा किया है कि वह गायिका की एक चौथाई संपत्ति की भी हकदार है. महिला के वकील के मुताबिक उसने खुद को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 50 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है. मोडेक्स ने कहा था कि वह केवल दसवीं तक ही स्कूल गयी है क्योंकि उसे पालने वाले माता-पिता को चौथी संतान के तौर पर उसके पालने में कठिनाइयां रहती थीं.