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#happybirthdaynargisdutt : जब नरगिस को बचाने के लिए आग में कूद गये थे सुनील दत्‍त

आज बॉलीवुड की महान अदाकारा नरगिस का जन्मदिन है. फिल्म ‘मदर इंडिया’ का नाम सुनते ही आंखों के सामने नरगिस का चेहरा उभर आता है. ’मदर इंडिया’ में उनकी शानदार अदाकारी ने सभी पुरानी मान्याताओं को ध्वस्त कर आने वाली पीढी के लिए एक नया रास्ता खोला. नरगिस को आज भी इस फिल्म के लिए […]

आज बॉलीवुड की महान अदाकारा नरगिस का जन्मदिन है. फिल्म ‘मदर इंडिया’ का नाम सुनते ही आंखों के सामने नरगिस का चेहरा उभर आता है. ’मदर इंडिया’ में उनकी शानदार अदाकारी ने सभी पुरानी मान्याताओं को ध्वस्त कर आने वाली पीढी के लिए एक नया रास्ता खोला. नरगिस को आज भी इस फिल्म के लिए याद किया जाता है. कहा जाता है कि अगर आपने ‘मदर इंडिया‘ नहीं देखी तो हिंदी फिल्में नहीं देखी. इस फिल्म को ऑस्कर के लिए भी नोमिनेट किया गया. इस फिल्म के अलावा भी नरगिस ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में शानदार अभिनय किया है. आइये जानते है महान अदाकारा नरगिस का सफर एक आम लड़की से लेकर बॉलीवुड की शानदार अभिनेत्री और समाज सेवी के रूप में कैसे तय हुआ.

आरंभिक जीवन

नरगिस का जन्म 1 जून 1929 को हुआ था. नरगिस की मां जद्दनबाई को शास्त्रीय संगीत का शौक था नरगिस को फिल्मों में काम करने के लिए उनकी मां का सहयोग मिला. नरगिस का वास्तविक नाम फातिमा राशिद था. नरगिस के पिता डॉक्टर थे. उनके परिवार में मां ने उन्हें शास्त्रीय संगीत और नृत्य का शुरूआती प्रशिक्षण दिया.

फिल्मों में आगमन

नरगिस ने बहुत कम उम्र से ही अभिनय के क्षेत्र में अपना कदम रखा. उन्होंने अपने अभिनय से उसी वक्त अपनी एक अलग पहचान बना ली. वर्ष 1935 में तलाश और हक नाम की फिल्म में नरगिस ने काम किया और बेबी नरगिस के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर ली. अपनी पहली फिल्म में ही उन्होंने ऐसा अभिनय किया कि उनके पास फिल्मों की लाइन लग गयी. 1940 और 50 के दशक में नरगिस को कई बड़ी हिंदी फिल्में मिली. इन फिल्मों में मुख्य रूप से चोरी- चोरी, आवारा, श्री 420, अंदाज और बरसात जैसी फिल्में थी. इन फिल्मों में अभिनय के लिए उन्हें खूब सराहा गया.

राजकपूर से बढ़ी थीं नजदीकियां

साल 1940 से लेकर 1950 तक नरगिस ने कई सुपरहिट फिल्‍मों में काम किया. जिनमें आवारा, बरसात , दीदार और श्री 420 शामिल है. यह राज कपूर का दौर था. नरगिस ने राज कपूर के साथ 16 फिल्‍मों में काम किया जिनमें से ज्‍यादातर फिल्‍में सफल रही. कहा जाता है दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी थीं और दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे थे. लेखिका मधु जैन की किताब द कपूर्स के मुताबिक,’ जब बरसात बन रही थी, नरगिस पूरी तरह से राज कपूर के लिए समर्पित हो चुकी थीं. जब स्‍टूडियो में पैसे की कमी हुई तो नरगिस ने अपनी सोने की चूड़ियां तक बेचीं. उन्‍होंने दूसरे निर्माताओं की फिल्‍मों में काम करके आरके फिल्‍म्‍स की खाली तिजोरी को भरने का काम किया.’ साल 1984 में जब राजकपूर मॉस्‍को गये थे तो वे अपने साथ नरगिस को लेकर भी गये थे. यहीं से दोनों के बीच गलतफहमी शुरू हुई. साल 1956 में आई फिल्म ‘चोरी चोरी’ नरगिस और राजकपूर की जोड़ी वाली आखिरी फिल्म थी.

सुनील दत्‍त से प्‍यार और शादी

नरगिस का जीवन संघर्ष से भरा रहा. फिल्म में एक मुकाम पर पहुंचने के बाद उन्हें अपने करियर में भी उतार चढ़ाव देखने पड़े लेकिन ‘मदर इंडिया’ से उन्होंने अपने अभिनय का लोहा मनवा लिया. इसी फिल्म में उन्हें अपना हमसफर भी मिला. नरगिस और सुनील दत्त के प्यार की कहानी किसी बॉलीवुड स्टोरी से कम नहीं है. फिल्म की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग जाने के बाद सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर नरगिस की जान बचायी. इस घटना के बाद दोनों ने एक दूसरे को अपना दिल दे दिया. नरगिस को सुनील दत्‍त में अपना जीवनसाथी दिखाई दिया. मार्च 1958 में दोनों ने शादी कर ली. दोनों के तीन बच्चे हुए, संजय दत्‍त, प्रिया दत्‍त और नम्रता.

नरगिस का निधन कैंसर जैसी खतरनाक बिमारी के कारण हो गया था.

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